उच्चतम न्यायालय ने डेट असाइनर और इसे असाइन करने वाले बैंकों को परिसंपत्ति बिक्री समिति की बैठकों में सिक्यूर्ड क्रेडिटर का प्रतिनिधित्व करने की आज अनुमति दे दी।
यह अंतरिम व्यवस्था 14 अप्रैल तक लागू होगी जब न्यायालय बैंकों द्वारा डेट में कारोबार की वैधता पर फैसला करेगी। न्यायमूर्ति एस एच कपाडिया के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के खिलाफ कुछ निजी बैंकों की शिकायतों पर अपना फैसला दिया है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने डेट में असाइनमेंट के जरिए कारोबार पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर बैंकों की इस अपील को निरस्त किया जाता है तो बैंकों के सभी परिचालन न्यायालय द्वारा तय की गई अवधि की तक सुरक्षित रखे जाएंगे।
कोर्ट ने कहा है उसने यह फैसला यह सुनिश्चित करने केलिए दिया है कि सिक्यूर्ड डेटर्स प्रतिनिधित्व पाने से कहीं चूक न जाए। यह फैसला किसी भी पार्टी के पूर्वाग्रहों से पूरी तरह परे है। इसे डेट केअसाइनमेंट को स्वीकार किए जाने के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन को निजी बैंकों की अपील में दखल देने का अधिकार दिया है। बैंकों के अनुसार डेट के असाइनमेंट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। हालांकि पिछले महीने उच्च न्यायालय ने बैंकिंग नियामक अधिनियम के तहत इस प्रचलन को स्वीकार्य घोषित नहीं किया था।