रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की मध्यावधि समीक्षा के मद्देनजर बैंकरों का कहना है कि उन्हे बैंकों की जमा और कर्ज की दरों में जल्दी किसी तरह की कमी आने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती।
बैंकरों के मुताबिक दरों में कोई छेड़छाड़ नहीं करने के रिजर्व बैंक के फैसले से यह साफ है। सिटीबैंक इंडिया के सीएफओ अभिजीत सेन का कहना है कि फिलहाल कुछ समय तक तो हम दरों में कमी की उम्मीद नहीं कर सकते।
हम कोई इंतजार करके देखना चाहता है कि वित्तीय बाजार कैसी करवट लेते हैं। उन्होने कहा कि इस महीने की शुरुआत में तरलता की स्थिति बेहतर करने के लिए रिजर्व बैंक के उठाए गए कदमों के बाद मिड टर्म पॉलिसी में कुछ न किया जाना कोई अचरज नहीं पैदा करता।
स्टेट बैंक के चेयरमैन ओपी भट्ट के मुताबिक लघु अवधि की ब्याज दरों में फिलहाल कुछ समय स्थिरता बनी रहेगी। ये न ऊपर जाएंगीं ना ही नीचे। उन्होने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली की वित्तीय हालत स्थिर है।
रिजर्व बैंक ने 2008-09 के लिए आर्थिक विकास की दर का अनुमान आठ फीसदी से घटा कर 7.5-8 फीसदी कर दिया है जबकि मार्च 2009 की अवधि के लिए महंगाई की दर का अनुमान सात फीसदी की रखा है और उसमें कोई बदलाव नहीं किया है। एचडीएफसी के डिप्टी ट्रेजरार आशीष पार्थसारथी के मुताबिक रिजर्व बैंक की पॉलिसी में वित्तीय बाजारों को स्थिरता देने को अहमियत दी गई है।
उन्होने कहा कि हालांकि रिजर्व बैंक से पॉलिसी में तरलता को कुछ और बेहतर करने के कदम की उम्मीद की जा रही थी लिहाजा दरों में कोई भी बदलाव नहीं किया जाना एक आश्चर्य की तरह आया है। लेकिन एक बात साफ है- रिजर्व बैंक वित्तीय प्रणाली में स्थिरता चाहता है।
यस बैंक के एमडी और सीईओ राना कपूर का कहना है कि इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने सीआरआर में 2.5 फीसदी की कटौती और रेपो दर में एक फीसदी की कटौती की थी जिसने बैंकिंग प्रणाली को स्थिरता दी है। हालांकि पॉलिसी में अहम दरों को नहीं छुआ गया है लेकिन उन्होने कहा की आने वाले समय में सीआरआर और रेपो दरों में और कटौती की जा सकती है।
उन्होने कहा कि यह व्यस्त सीजन है और ऐसे में और राहत की जरूरत भी है। हालांकि उन्होने निकट भविष्य में बैंकों की जमा और कर्ज की दरों में किसी भी बदलाव की संभावना से इनकार किया है।
सिटीबैंक के सेन के मुताबिक रिजर्व बैंक ने इस नीति से साफ संकेत भेजा है कि ग्रोथ से समझौता नहीं किया जा सकता है। कपूर का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में बदली बाजार के हालात और मौजूदा स्थिति में 7.5-8 फीसदी की ग्रोथ ज्यादा व्यवहारिक दिखाई पड़ती है।