सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्रेडिट मूल्यांकन का डिजिटल आधारित नया मॉडल अगले साल मार्च के अंत तक आ सकता है। मामले से अवगत तीन सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। एक सरकारी बैंक के एक अधिकारी ने कहा, ‘इस पर तकरीबन आधा काम पूरा हो चुका है और हम इसके चालू वित्त वर्ष के अंत तक पेश करने की उम्मीद कर रहे हैं।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा था कि सरकारी बैंक एमएसएमई के ऋण के आकलन के लिए बाह्य मूल्यांकन से इतर अपनी खुद की क्षमता विकसित करेंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि सरकारी बैंक एमएसएमई के डिजिटल स्कोरिंग के आधार पर एक नया क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल विकसित करने की दिशा में काम करेंगे।
वित्त मंत्री ने कहा था, ‘इससे पारंपरिक क्रेडिट मूल्यांकन के तरीके, जो पूरी तरह से परिसंपत्ति या कारोबार के मानदंड पर निर्भर करते हैं, में महत्त्वपूर्ण सुधार आने की उम्मीद है। इसमें औपचारिक अकाउंटिंग प्रणाली के बिना एमएसएमई को भी शामिल किया जाएगा।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘इस पर काम चल रहा है और इसके पूरा होने के बाद हम उसका मूल्यांकन और स्वीकार्यता परीक्षण करेंगे। इसे पेश करने की सटीक तारीख अभी तय नहीं है क्योंकि हमारा लक्ष्य सभी पहलुओं को शामिल करना है।’
तीसरे अधिकारी ने कहा कि पारंपरिक क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल मुख्य रूप से क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है जबकि नई आंतरिक प्रणाली ज्यादा व्यापक नजरिया प्रदान करेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘यह एमएसएमई की आपूर्ति श्रृंखला की गतिशीलता, डिजिटल फुटप्रिंट और उद्योग की स्थिति सहित कई कारकों का आकलन करता है, जिससे अधिक सूक्ष्म और सटीक मूल्यांकन सुनिश्चित होता है।’
वर्तमान में बैंक को एक निश्चित सीमा से अधिक आम तौर पर 30 से 50 करोड़ रुपये के बीच ऋण चाहने वाले एमएसएमई के लिए बाह्य क्रेडिट रेटिंग की जरूरत होती है। यह आवश्यकता इन व्यवसायों के लिए महंगी और वित्तीय रूप से जटिल हो सकती है। कुछ मामलों में 30 करोड़ रुपये से कम के ऋण भी इसके दायरे में आ जाते हैं। नई आंतरिक प्रणाली का लक्ष्य बाहरी रेटिंग की आवश्यकता को कम या समाप्त करके इस बोझ को कम करना है।
इकनॉमिक लॉ प्रैक्टिस में बैंकिंग प्रैक्टिस के प्रमुख मुकेश चंद ने कहा, ‘एमएसएमई को कर्ज मुहैया कराने के लिए नया मूल्यांकन मॉडल में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का फायदा उठाया जाएगा। वस्तु एवं सेवा कर रिटर्न, पिछले लेनदेन का ब्योरा, बिजली बिलों का भुगतान आदि जैसे कई डिजिटल स्रोतों से जानकारियों को एकीकृत किया जाएगा। यह मॉडल प्रत्येक एमएसएमई के लिए समग्र वित्तीय पोर्टफोलियो तैयार करेगा। यह प्रोफाइल लगातार अपडेट होगा ताकि समय के साथ क्रेडिट मूल्यांकन सटीक बना रहे।’
सरकार ने 5 अगस्त को सदन में एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि 31 मार्च, 2024 तक अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का एमएसएमई पर बकाया ऋण 27.2 लाख करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च, 2023 तक 22.6 लाख करोड़ रुपये था।