आईडीबीआई होम फाइनैंस (आईएचएफएल) की ब्रिकी का अंतिम फैसला होना अभी बाकी है।
आईडीबीआई की मॉर्गेज इकाई ने नैशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) से संपर्क साधा है ताकि उसे अगले तीन महीने तक संशोधित जोखिम नियमों का पालन करने के लिए वक्त दिया जाए।
नई रिस्क वेट प्रणाली के तहत एनबीएच द्वारा निर्धारित 12 फीसदी पूंजी पर्याप्तता अनुपात का प्रबंधन करने के लिए आईएचएफएल को दिसंबर 2008 से अतिरिक्त 60.26 करोड़ रुपये की जरूरत है।
सूत्रों के मुताबिक आईडीबीआई होम फाइनैंस की सहयोगी इकाई ने इन नियमों का पालन करने के लिए 31 मार्च तक का वक्त मांगा है। पहले की नियमों के मुताबिक नवंबर 2008 तक आईएचएफएल का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर)14.7 फीसदी था। लेकिन दिसंबर से नए मानदंड लागू होने से सीएआर कम होकर 9.78 फीसदी हो गया।
जब एनएचबी के एक अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें आईएचएफएल से इस मुद्दे पर पत्र मिला है। उनका कहना था कि वे इन नियमों की नाफरमानी की वजहों की समीक्षा कर रहे हैं।
उनका कहना था कि आवासीय वित्त नियामक को आईएचएफएल के उन कदमों का मूल्यांकन करना होगा जो वह नियमों का पालन करने के लिए उठा रहा है। आईडीबीआई बैंक का कहना है कि आईएचएफएल की बिक्री की एक वजह अतिरिक्त पूंजी की जरूरत भी है।
आईडीबीआई के एक अधिकारी का कहना है, ‘अचानक से नियमों के लागू होने की वजह से ही हमे थोड़े वक्त की जरूरत है ताकि हम नए नियमों के मुताबिक खुद को ढालने के लिए तैयार कर सकें।’