देश की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की अग्रणी बैंक एचडीएफसी के शुध्द लाभ में वित्त्तीय वर्ष 2009 की पहली तिमाही में 44.55 फीसदी की वृध्दि दर्ज की गई।
कंपनी ने 30 जून 2008 को समाप्त हुए वित्त्तीय वर्ष में कुल 464.35 करोड़ का शुध्द लाभ अर्जित किया। जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में बैंक ने 321.23 करोड रुपये का शुध्द लाभ अर्जित किया था। बैंक की कुल आय में भी पहली तिमाही में 59.6 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई और बैंक की कुल आय 2,641.7 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,215.2 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब का अधिग्रहण करने वाली एचडीएफसी बैंक केनेट इंट्रेस्ट मार्जिन में पिछले साल की तुलना में गिरावट देखी गई। बैंक ने पिछले वित्त्तीय वर्ष की इसी तिमाही में 4.4 फीसदी का नेट इंट्रेस्ट मार्जिन हासिल किया था लेकिन इस बार बैंक को 4.1 फीसदी के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन से संतोष करना पड़ा। बैंक ने कहा कि नेट इंट्रेस्ट मार्जिन के कम रहने की वजह सीओबीपी केसाथ विलय भी रहा क्योंकि सीओबीपी ने 3.6 फीसदी नेट इंट्रेस्ट मार्जिन अर्जित किया।
बैंक के कार्यकारी अधिकारी परेश सुखतानकर ने कहा कि अपनी ऊंची ब्याज दरों के प्रभाव से निपटने में सफल रहे हैं क्योंकि हमनें अपनी लोन बुक के बरकरार रखा है। बैंक के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन के अगले चौदह से पंद्रह महीनों के बीच 3.9 से 4.2 फीसदी के दायरें में रहने की संभावना है। बैंक ने कहा कि उसकी नेट इंट्रेस्ट इनकम में पहली तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 74.9 फीसदी बढ़कर 1.723.5 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। इस तिमाही के दौरान बैंक के मार्क-टू-मार्केट पोर्टफोलियो के निवेश में 72 करोड़ रुपये का असर पड़ा।
सुखतानकर ने कहा कि बैंक की 80 फीसदी परिसंपत्ति हेल्ड टू मैच्योरिटी की कैटेगरी में हैं जबकि बिक्री के लिए बैंलेंस भी बचा हुआ है। हालांकि मार्क-टू-मार्केट आंकड़ों में इन स्तरों से ज्यादा सुधार होने की संभावना नहीं है क्योंकि क्रेंदीय बैंक के द्वारा ब्याज दरों में पहले ही पर्याप्त बढ़ोतरी कर दी गई है। बैंक का कुल डिपॉजिट इस तिमाही में 1,30,918 करोड़ रुपए रहा जो कि पिछले साल की तिमाही की अपेक्षा 60.4 फीसदी ज्यादा है। एचडीएफसी बैंक का मानना है कि 29 जुलाई की तिमाही मौद्रिक समीक्षा में बैंक सीआरआर में 0.25 फीसदी की और बढ़ोतरी कर सकता है।
जबकि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी की संभावना कम ही है। सुखतानकर ने कहा कि तरलता की स्थिति को बरकरार रखने के लिए आरबीआई सीआरआर बढा सकता है। लेकिन औद्योगिक हालातों को देखते हुए रेपो रेट में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। हमें नहीं लगता कि इससे हमारा लाभ दबाव में होगा। हमारे पास डिपॉजिट और लोन का मिश्रण है। अगर आरबीआई ब्याज दरों में बढोतरी का फैसला करता है तो हम भी अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे।