सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए कर्ज माफी योजना के तहत माफ की जाने वाली रकम में कमी की जाएगी।
इसके अलावा इन बैंकों के लिए इस योजना को लागू करने का काम शुरू करने की नई तारीख भी तय की गई है। इस प्रकार तय नई तारीख के जरिए इन बैंकों पर पडने वाले वित्तीय भार को कम किया जाएगा।
मालूम हो कि अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने 31 दिसंबर, 2007 तक के कर्ज की सारी रकम माफ करने की बात कही थी जबकि इसके लिए किसी तय तारीख की बात का जिक्र उन्होंने नहीं किया था। लेकिन इस योजना के तहत केवल उन्हीं किसानों को लाभ मिलेगा जिन्होंने मार्च 1997 के बाद कर्ज लिया है।
इस बारे में ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफ इंप्लाइज एसोसिएशन का कहना है कि हालिया सुधारों के बाद पूर्वी भारत में सहकारी समितियों और ग्रामीण बैंकों से लिए गए कर्ज के दावों में एक हद तक कमी आई है। उनके मुताबिक ग्रामीण बैंकों की ज्यादातर शाखाएं गांवों में हैं लिहाजा इनके ज्यादातर कर्ज या तो खेती से जुड़े हैं या फिर सरकारी योजनाओं के तहत मिले कर्ज से संबंधित हैं,जो फंसे कर्ज का सबसे बड़ा मुख्य कारण है।