भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का डिजिटल भुगतान सूचकांक (डीपीआई) मार्च 2021 के लिए 270.59 पर पहुंच गया, जो मार्च, 2020 में 207.94 पर था। इससे महामारी के बाद से डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता तेजी से बढऩे के संकेत मिलते हैं।
रिजर्व बैंक ने एक बयान में आज कहा, ‘आरबीआई-डीपीआई सूचकांक में में उल्लेखनीय वृद्धि से पता चलता है कि हाल के वर्षों में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता तेज हुई है और इसकी पैठ बढ़ी है।’ मार्च 2019 में सूचकांक 153.47 अंक पर था और सितंबर, 2019 मेंं यह बढ़कर 173.49 और मार्च, 2020 में यह बढ़कर 207.94 पर पहुंच गया। सितंबर, 2020 में यह 217.74 पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक ने कहा है कि यह सूचकांक अर्धवार्षिक आधार पर 4 महीने के अंतराल के साथ प्रकाशित होगा।
आरबीआई-डीपीआई का गठन मार्च, 2018 में आधार अवधि के रूप में हुआ था, यानी मार्च 2018 का डीपीआई स्कोर 100 तय है। डीपीआई सूचकांक में 5 व्यापक मानकों को शामिल किया गया है, जिससे देश में विभिन्न कालखंड में डिजिटल भुगतान की पहुंच का मापन होता है। मानकों में पेमेंट इनेबलर्स सूचकांक में 25 प्रतिशत अधिभार के साथ शामिल है। इसके बाद मांग और आपूर्ति के पक्ष के भुगतान संबंधी बुनियादी ढांचे का अधिभार 10-10 प्रतिशत है। भुगतान प्रदर्शन का अधिभार 45 प्रतिशत और उपभोक्ता केंद्रित होने का अधिभार 5 प्रतिशत है। हर मानक के उप मानक हैं, जो विभिन्न मापने योग्य संकेतकों से बनते हैं। 2020-21 के दौरान डिजिटल लेन-देन में तेज वृद्धि बनी रही।
इसके अलावा डिजिटल खुदरा भुगतान जैसे यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) नैशनल ऑटोमेेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच), भारत बिल पेमेंट्स सिस्टम (बीबीपीएस) और नैशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी) ने लचीलापन दिखाया और बेहतरीन वृद्धि दर्ज की। दरअसल वित्त वर्ष 20 और 21 के बीच लेन-देन की मात्रा 12.5 अरब से बढ़कर 22.3 अरब हो गई और मूल्य भी 21.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 41 लाख करोड़ रुपये हो गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 ने देश में डिजिटल भुगतान की स्वीकार्यता 5 से 10 साल तेज कर दी है। महामारी की दूसरी लहर के बावजूद डिजिटल भुगतान का माहौल लचीला बना हुआ है, जिसकी वजह से तेज विस्तार बरकरार है।
रिजर्व बैंक के जुलाई बुलेटिन के मुताबिक उपभोक्ता और कारोबारी गतिविधियां बहाल होने के साथ भुगतान के प्रमुख तरीकों जैसे आरटीजीएस, एनईएफटी, यूपीआई, आईएमपीएस और एनईटीसी के माध्यम से लेन-देन की औसत मात्रा बनी हुई है। यूपीआई अब तक के सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है और इसके 2.8 अरब लेन-देन से 5.47 लाख करोड़ रुपये का विनिमय हुआ है।
