वित्तीय तनाव का सामना कर रहीं गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) की तरफ से अपनी परिसंपत्तियों की बड़े पैमाने पर की जा रही बिक्री की वजह से न केवल परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कम हो गया है बल्कि बाजार भी खरीदारों के पक्ष में झुक गया है। इस समय दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड, रिलायंस कैपिटल और आईएलऐंडएफएस की परिसंपत्ति बिक्री की कवायद चल रही है। बोलीकर्ताओं के सामने अधिक विकल्प एक समस्या बनकर खड़े हो गए हैं और इन परिसंपत्तियों के लिए उनकी बोलियां रुढि़वादी ही रहने के आसार हैं।
एक संभावित बोलीकर्ता ने कहा, मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर किसी तरह का प्रीमियम देने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। अगर विक्रेता कंपनियों अपनी परिसंपत्तियों की अच्छी कीमत चाहते हैं तो उन्हें बिक्री कम से कम साल भर टालनी होगी।
डीएचएफएल के लिए बोली लगाने वालों ने बेहद सजग बोलियां लगाई हैं और बैंकों को उनके बकाये का 15 फीसदी हिस्सा भी नहीं मिल पा रहा है। घटनाक्रम से परिचित एक बैंकर कहते हैं, भले ही इस हफ्ते संशोधित बोलियां आने की संभावना है लेकिन कर्जदाता वित्तीय संस्थानों को डीएचएफएल मामले में बड़ी रकम बट्टे खाते में डालनी होगी। हमें काफी ऊंची बोलियां आने की उम्मीद नहीं है और संशोधित बोलियां भी परिशोधन मूल्य से काफी कम ही होगा।
पीरामल को छोड़कर अधिकांश मामलों में कर्जदाता परिसंपत्तियों की बिक्री डिफॉल्ट के बाद कर रहे हैं।
एनबीएफसी की परिसंपत्तियों की बिक्री के अलावा येस बैंक भी 32,000 करोड़ रुपये के अपने फंसे कर्जों को एक साथ एक बैड बैंक में इक_ा करने के बारे में सोच रहा है। इस सिलसिले में उसकी ईवाई के साथ बात चल रही है। कई परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) से बैंक के इस एनपीए खाते की बिकी को लेकर संपर्क साधा गया है। बैंकरों का कहना है कि बड़ी संख्या में परिसंपत्तियों की बिक्री होने और बाजार में बहुत कम नकदी होने से परिसंपत्ति बिक्री पर असर पड़ रहा है।
एक बैंकर ने कहा, ‘बिक्री को अगले वित्त वर्ष के लिए टालने का शायद यह समय है। इसकी वजह यह है कि मौजूदा साल महामारी की वजह से एनबीएफसी एवं वित्तीय परिसंपत्तियों के विलय एवं अधिग्रहण के नजरिये से पूरी तरह खाली रहा है।’ डीएचएफएल के ऋण खाते के लिए लगाई गई बोलियों से पता चला कि बोलीकर्ताओं को कुछ खास तरह के कर्जों की तलाश है और वे परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में भी काफी सजग हैं। रिलायंस कैपिटल की बीमा एवं म्युचुअल फंड इकाइयों में परिसंपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया फिलहाल चल रही है और 1 दिसंबर तक रुचि जताई जा सकती है। बैंकर ने कहा, ‘रिलायंस कैपिटल की परिसंपत्तियों के लिए अधिक बोलियां आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि बाजार में इस समय तमाम परिसंपत्तियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।’
बैंकरों के मुताबिक, तनावग्रस्त एनबीएफसी के अलावा एनबीएफसी चला रहीं कई बड़ी कंपनियां भी अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए आगे आ रही हैं। इसका कारण यह है कि एनबीएफसी इकाई के कर्ज उस समूह के कर्ज में भी गिने जाते हैं जिससे उनकी रेटिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक एनबीएफसी के मुख्य कार्याधिकारी ने नाम सामने न आने की शर्त पर कहा कि आने वाले महीनों में कुछ बड़ी कंपनियां एनबीएफसी कारोबार से अपने हाथ समेट लेंगी। वृद्धि की रफ्तार सुस्त पडऩे और महामारी के बाद अपने पोर्टफोलियो को लेकर कंपनियों के बीच नई नजर डालने से ऐसा होगा।
