facebookmetapixel
प्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमित

मंदी में चांदी है बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंकों की

Last Updated- December 07, 2022 | 3:45 AM IST

छोटे आईपीओ बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंकों के लिए बड़े अवसर दे रही हैं। बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंक यानी वो इन्वेस्टमेंट बैंक जो केवल छोटी और मझोली कंपनियों में ही डील करती हैं।


हाल में आए आईपीओ में मर्चेन्ट बैंकों की हिस्सेदारी के आंकड़ों पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि ये इन्वेस्टमेंट बैंक इन छोटे आईपीओ से भारी पैसा बना रहे हैं। सेकेन्डरी बाजार में छाई मंदी की वजह से कई बड़ी कंपनियों ने अपने बडे आईपीओ फिलहाल के लिए टाल दिए हैं।

इन छोटे इन्वेस्टमेंट बैंकों की आईपीओ गतिविधि में तेजी आने की एक और वजह यह भी है कि बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकों ने अपनी फीस बढ़ा कर 3-4 फीसदी कर दी है जो आमतौर पर दो फीसदी हुआ करती है। लिहाजा फीस बढ़ा दिए जाने से कई आईपीओ अब  बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंकों का रुख कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक छोटे इन्वेस्टमेंट बैंक केवल 1.5 फीसदी फीस चार्ज करते हैं और कई बार तो इससे भी कम फीस वसूलते हैं।

साल 2008 में अब तक मंदी का माहौल बना रहा है और प्राइमरी बाजार में भी इसका असर पड़ा है, ऐसे में बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंकों के लिए यह अच्छी कमाई का समय है। ऐसे ही एक बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंक के मुताबिक 2007 के मुकाबले 2008 में आईपीओ से होने वाली उनकी फी आधारित कमाई में खासा इजाफा हुआ है।

श्रेई कैपिटल मार्केट्स, एलमंड्ज ग्लोबल सेक्योरिटीज, कीनोट कैपिटल सर्विसेस और कोलिन्स स्टेवार्ट इंगा कुछ ऐसी ही फर्में हैं जो इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। इस साल बाजार में आए 20 पब्लिक इश्यू में से करीब 10 इश्यू ऐसे थे जिन्होने 100 करोड़ से कम रकम की उगाही की। ऐश्वर्या टेलिकॉम और सीताश्री फूड प्रॉडक्ट्स जैसी कंपनियों ने बाजार से क्रमश: 14 और 31.5 करोड़ रुपए की उगाही की, इनके इश्यू की प्राइसिंग आकर्षक होने की वजह से इसमें निवेशकों ने खासी रुचि दिखाई।

जानकारों का कहना है कि मंदी के बाजार में निवेशकों को भरोसा दिलाना आसान नहीं होता, लेकिन ऐसा लगता है कि छोटे आई-बैंक अपना काम बखूबी कर रहे हैं। अगर इन आईपीओ में आंकड़ों को देखें तो इनमें से ज्यादातर आईपीओ तीन गुना से ज्यादा सब्सक्राइब हुए हैं। सेंट्रम कैपिटल के इन्वेस्टमेंट बैंकिंग हेड मयंक दलाल के मुताबिक छोटी कंपनियों के लिए बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंक से काम कराना मुनासिब भी लगता है हालांकि काम की क्वालिटी एक अहम मुद्दा हो सकता है, इसीलिए हम लोगों ने 75 करोड़ और उससे ऊपर का काम लेना शुरू किया है, उससे नीचे का नहीं।

चूंकि बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंक एक खास क्षेत्र में काम करते हैं, यानी छोटी और मझोली कंपनियों के लिए ही वो काम करते हैं इससे उन्हे फायदा भी मिलता है। पहली बार अलमंड्ज ग्लोबल सेक्योरिटीज और आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेस जैसे मर्चेन्ट बैंकर डियोलॉजिक के जुटाए इक्विटी बाजार के आंकडों में अच्छी जगह बनाने में सफल रहे हैं।

अलमंड्ज ने करीब 190 लाख डॉलर की रकम जुटाई है जबकि आनंद राठी ने कुल 4180 लाख डॉलर जुटाए हैं। डियोलॉजिक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में शेयर बाजार का वॉल्यूम 2007 के मुकाबले 48 फीसदी बढ़कर 10.4 अरब डॉलर का हो गया है।

First Published - June 5, 2008 | 10:48 PM IST

संबंधित पोस्ट