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बड़े-बडे आई-बैंकर दहशत में

Last Updated- December 07, 2022 | 9:04 PM IST

आई-बैंकिंग यानी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रमुख खिलाडियों का दावा है कि वैश्विक स्तर पर विलय एवं अधिग्रहणों की संख्या में कमी होने के कारण इस क्षेत्र में नौकरियों में कमी आने और छंटनी के संकेत भी मिलने लगे हैं।


यही वजह है कि इस क्षेत्र में मोटी तनख्वाह पाने वाले अधिकारी अब क्षेत्र बदलकर दूसरे क्षेत्रों मसलन टेलीकॉम, सूचना तकनीक एवं प्राइवेट इक्विटी की कंपनियों में नौकरी की तलाशने में लग गए हैं।

इस बाबत ए वी बिरला ग्रुप सहित अन्य आई बैंकिंग में बतौर कॉर्पोरेट क्लाइंट की भूमिका निभाने वाले निर्मित पारेख के मुताबिक इंवेस्टमेंट बैंकिंग क्षेत्र में जो लोग 15 से 20 सालों से काम रहे थे और उन्होने नौकरी नहीं बदली थी पर अब वो नौकरी बदलने की कवायद में हैं।

पारेख आगे बताते हैं कि अब इस क्षेत्र में भी जॉब कट तय है लिहाजा उन्हें अब दूसरे अन्य विकल्पों पर गौर फरमाना होगा। आगे कॉर्नफेरी इंटरनेशनल के  इंडिया हेड दीपक गुप्ता का कहना है कि कर्मचारियों को आशंका है कि उनकी नौकरी पर खतरा है और उन्हे पिंक स्लिप एवं कम बोनस मिल सकते हैं।

इतना ही नही बल्कि आई बैंकिंग क्षेत्र की कोर टीम के कई लोग खुद ही अपना क्षेत्र बदल रहे हैं क्योकि कई बैंकों ने तो अपने बैक एंड प्रॉसेसिंग की टीम में कटौती शुरू कर दी है। इसके साथ सिटी ग्लोबल, जेपी मॉर्गन एवं लीमन ब्रदर्स के भी  बीपीओ यहां हैं। लीमन ब्रदर्स नेसंख्या कम करने के संबंध में कुछ भी टिप्पणी करने से मना किया है।

First Published - September 15, 2008 | 10:37 PM IST

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