विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) की पुनर्खरीद के प्रति कंपनियों की दिलचस्पी कम हुई है।
एफसीसीबी पर भारतीय रिजर्व बैंक के उदार रवैया अपनाने के बाद दिसंबर 2008 से अब तक मात्र 16 कंपनियों ने ही 52.6 करोड़ डॉलर मूल्य की पुनर्खरीद की है। इसके अलावा 8 कंपनियों ने पुनर्खरीद करने की योजनाओं का खुलासा भर किया है।
उल्लेखनीय है कि 2004 से 2008 के बीच करीब 158 कंपनियों ने 20 अरब डॉलर के एफसीसीबी जारी किए हैं और अब तक 3 अरब डॉलर से कम के बॉन्ड को ही परिवर्तित किया गया है। बांकी बचे 17 अरब डॉलर एफसीसीबी अभी भी बकाया हैं जिनको परिपक्वता प्रीमियम पर रिडीम किया जाएगा।
विदेशों में एफसीसीबी पर 30-35 फीसदी की छूट दी जा रही है लेकिन इसके बाद भी इसे बिकवाल नहीं मिल रहे हैं। बॉन्ड को 2010 और 2012 के बीच परिवर्तित नहीं किए जाने की स्थिति में यह जारीकर्ताओं के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट में तब्दील हो जाएगा। केएनजी सिक्योरिटीज के प्रशांत सावंत का कहना है कि छूट की गणना और वित्तीय प्रक्रियाओं में आरबीआई द्वारा ढील देने से एफसीसीबी को जारी करनेवाली कंपनियों को कुछ राहत मिल सकती है।
पिछले साल से शेयर बाजार में लगातार आ रही गिरावट के कारण कुछ एक अपवाद को छोड़कर सभी बॉन्डों की हालत पतली हो गई है। सावंत का कहना है कि जहां पर कंपनियों को फंडों की प्राप्ति हुई है, वहां पर यह पैटर्न देखने को मिल रहा है कि आरबीआई के पुनर्खरीद के नियमों के विपरीत, एफसीसीबी का कारोबार छूट पर नहीं हो रहा है।
नकदी की स्थिति बेहतर रहने की स्थिति में अपने ही डेट को सस्ते दरों पर खरीदना बेहतर विकल्प माना जाता है। हालांकि मौजूदा वित्तीय संकट के कारण कंपनियां इन एफसीसीबी को खरीदने से पहले काफी सतर्क रवैया अपनाए हुए हैं।
ज्यादातार मामलों में ये कंपनियां अपने पास मौजूदा नकदी की रखे हुए हैं या फिर इसका इस्तेमाल पूंजी विस्तार योजना के लिए कर रहे हैं। पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान डॉलर के मुकसबले रुपये में तेज गिरावट के कारण कंपनी ने एफसीसीबी को लेकर अपनी योजनाओं को ठंढ़े बस्ते में डाल दिया है।
ऐसे मामलों में जहां कर्ज यूरो और जापानी मुद्रा येन में जुटाए जाते हैं, इन मुद्राओं का चलन डेट के जारी होने के बाद डॉलर के मुकाबले विपरीत दिशा में हुआ है। इससे पुनर्खरीद करना और भी महंगा हो गया है। कुछ निश्चित मामलों में जहां राजस्व का संबंध अमेरिकी डॉलर से है, वहां एफसीसीबी की पुनर्खरीद अपेक्षाकृत आसान रही है।
