अगर आप मुंबई के बाहरी इलाकों मसलन नालासोपारा, उल्हासनगर, कल्याण एवं बदलापुर में घर लेने की सोच रहे हैं तो इसकी भरपूर संभावना है कि आपको इन इलाकों में बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां मकानों को नीलाम करते नजर आएं।
अगर हाल के कुछ विज्ञापनों पर एक नजर डाली जाए तो हाउंसिंग कंपनियां मसलन एचडीएफसी, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, पंजाब नेशनल बैंक सहित अन्य बैंकों या फिर कंपनियों ने कर्जों की रिकवरी के लिए या तो एक या फिर कई सारे विज्ञापन दे रखे हैं।
ऐसा ये बैंक एवं कंपनियां सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशिएल एसेट्स एंड इंफोरस्मेंट ऑफ सिक्योरिटीज एक्ट 2002 के तहत कर रही हैं। एचडीएफसी की बात करें तो इसने चार अगस्त के अंग्रेजी दैनिक में 16 संपत्तियों की नीलामी का विज्ञापन दे रखा है जबकि इंडियन बैंक ने छह अगस्त को एक दैनिक अखबार में 17 संपत्तियों की बिक्री का विज्ञापन दे रखा है।
इनसे पहले एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस ने कर्ज की रिकवरी के लिए 46 संपत्तियों की बिक्री का विज्ञापन दे रखा था। ये सारे विज्ञापन दो अगस्त को प्रकाशित नौ संपत्तियों की बिक्री के बाद छपे हैं। खास बात यह है कि ये सारे विज्ञापन मुंबई एवं थाने इलाकों की कालोनियों के हैं। इस बारे में एक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट का कहना है कि आमतौर पर बैंक हर महीने चार से छह संपत्तियों की बिक्री करते हैं लेकिन यह संख्या अब ज्यादा है।
पर बैंकों का कहना है कि यह कोई अप्रत्याशित कदम नहीं है क्योंकि प्रॉपर्टी की बिक्री एवं नीलामी एक सतत प्रक्रिया है। एक कंपनी के मैनेजर के मुताबिक रिटेल कर्जों के एनपीए का प्रतिशत या तो गिरा है या फिर कम हुआ है। पार्कलेन एडवाइजर के अध्यक्ष अक्षय कुमार के मुताबिक फीसदी के शब्दों में यह भले ही कम लगे पर वक्त से पहले की बंदी का चलन काफी ज्यादा है। एक और प्रॉपर्टी कंसलटेंट अंजु पुरी के मुताबिक 2009-10 की पहली तिमाही में उन्हें डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।