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बैलेंसशीट की मजबूती बढ़ाएं बैंक, RBI ने कहा- बैंकों का कुल NPA इस समय एक दशक में सबसे कम

रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के पास अच्छी खासी पूंजी है मगर उन्हें एनबीएफसी को दिए जा रहे कर्ज पर लगातार नजर रखनी होगी

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मनोजित साहा   
Last Updated- December 27, 2023 | 11:26 PM IST

देश के बैंकों तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की स्थिति मजबूत है और बैंकों की कुल गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) एक दशक में सबसे कम स्तर पर हैं मगर उन्हें अपनी बैलेंसशीट और भी मजबूत करने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022-23 की इंडियाज ट्रेंड ऐंड प्रोग्रेस रिपोर्ट में आज कहा कि बैंकों को अपने प्रशासन के मानक बेहतर करने होंगे और बिना गिरवी के दिए जा रहे कर्ज के मामले में सतर्क भी रहना होगा।

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल एनपीए अनुपात सितंबर 2023 के अंत में 3.2 फीसदी रह गया। 2018-19 से ही यह अनुपात गिरता जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘पहले से काफी कम कर्ज फंसने के कारण सभी बैंक समूहों में संपत्ति गुणवत्ता सुधरी और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल एडवांस तथा सकल एनपीए का अनुपात 10 साल में सबसे कम रह गया। ब्याज दर अधिक रहने और प्रोविजनिंग की जरूरत कम पड़ने से बैंकों की मुनाफा कमाने की क्षमता बढ़ी और उनकी पूंजी की स्थिति भी बेहतर हो गई।’

रिपोर्ट में कहा गया कि ऊंचे पूंजी अनुपात, बेहतर संपत्ति गुणवत्ता और आय में तगड़ी वृद्धि के कारण भारतीय बैंकिंग प्रणाली और एनबीएफसी कंपनियां मजबूत बनी रहीं। मगर रिपोर्ट ने आगाह किया कि जमा दरें बढ़कर उधारी दरों के पास पहुंचने से बैंकों की मुनाफा कमाने की कुव्वत कुछ कम रहेगी।

साल में एक बार प्रकाशित होने वाली इस रिपोर्ट में बैंकों तथा गैर बैंकों के आपस में जुड़े होने की बात कही गई और चेतावनी दी गई कि किसी एक को नुकसान होने से दूसरे को भी चोट पहुंचने का जोखिम है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘कई एनबीएफसी ने एक साथ कई बैंकों से कर्ज लिए हैं। उनके डीबेंचर और कमर्शियल पेपर के प्रमुख ग्राहक भी बैंक ही हैं। ऐसे घनिष्ठ संबंध होने पर एक को चोट लगने से दूसरे को भी नुकसान होने का खतरा पैदा हो जाता है।’

रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के पास अच्छी खासी पूंजी है मगर उन्हें एनबीएफसी को दिए जा रहे कर्ज पर लगातार नजर रखनी होगी और यह भी देखना होगा कि कोई एक एनबीएफसी कितने बैंकों से कुल कितना कर्ज ले रही है। एनबीएफसी को भी रकम की जरूरत कई स्रोतों से पूरी करनी चाहिए और बैंकों पर जरूरत से ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए। पहले एनबीएफसी सबसे ज्यादा रकम डीबेंचर जारी कर जुटाती थीं मगर मार्च 2023 के अंत में बैंकों से उधारी उनके लिए धन का सबसे बड़ा स्रोत बन गई, जो सितंबर 2023 के अंत में और भी ज्यादा बढ़ गई।

बैंक तथा एनबीएफसी कुछ भी गिरवी रखे बगैर कर्ज दे रहे हैं, जिसका जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट कहती है, ‘गिरवी बगैर यानी असुरक्षित खुदरा कर्ज में वृद्धि की दर बैंक ऋण में हुई कुल वृद्धि से ज्यादा तेज रही है।’ लेकिन यह भी कहा गया कि इस तरह के ऋणों की वजह से संपत्ति की गुणवत्ता में अभी तक किसी तरह की गिरावट नहीं आई है।

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल ऋण में असुरक्षित कर्ज की हिस्सेदारी मार्च 2015 के अंत से ही बढ़ रही है और मार्च 2023 के अंत में 25.5 फीसदी पर पहुंच गई। विदेशी बैंकों ने 50 फीसदी से ज्यादा कर्ज बिना गिरवी के दिए हैं।

निजी बैंकों के 27.3 फीसदी और सरकारी बैंकों के 22.6 फीसदी कर्ज असुरक्षित हैं।

First Published : December 27, 2023 | 11:25 PM IST