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रियल एस्टेट फर्मों को कर्ज देने में सतर्क रहें बैंक

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 8:48 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भले ही बैंकों द्वारा कामर्शियल रियल एस्टेट को लोन देने की शर्तों को आसान बना दिया हो लेकिन अभी भी समझदारी के साथ कर्ज दिया जाना उसका प्रमुख एजेंडा है।


केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंक यह सुनिश्चित कर लें कि जो कर्ज वे रियल एस्टेट को दे रहे हैं उसका उपयोग निर्माण के कामों में ही हो न कि इसका उपयोग पहले के कर्ज की रीफाइनेंसिंग, विदेशी शेयरधारकों को भुगतान करने या फिर बाहर निकलने के इच्छुक प्राइवेट इक्विटी शेयरधारक को चुकाने में किया जाए।

आरबीआई ने कर्जदाताओं को आगाह करते हुए उनसे कहा है वे  रियल स्टेट को कर्ज देते वक्त सचेत रहें और वे इस बात को एक अनौपचारिक दिशानिर्देश के तौर पर लें। भले ही रियल एस्टेट के कारोबार पर रिस्क वेट कम कर दिया गया है।

यह रिस्क वेट एसेट के वर्गीकरण की एक प्रक्रिया है। यह वर्गीकरण  लोन पोर्टफोलियो में व्याप्त जोखिम  के अनुपात में आबंटित वेटेज के आधार पर किया जाता है। अगर रिस्क वेटेज अधिक होगा तो रिस्क अधिक होगी।

कुछ सप्ताह पहले आरबीआई ने व्यवसायिक रियल एस्टेट के लिए रिस्क वेट को 125 फीसदी से घटाकर 0.4 फीसदी कर दिया है। बैंक से जुड़े सूत्रों के अनुसार रियल एस्टेट के क्षेत्र में पहले आई जबरदस्त तेजी मुख्य रूप से विदेशी फंड के कारण थी।

यह फंड मुख्य रूप से प्राइवेट इक्विटी के रूप में आया था जिसमें इक्विटी या डेट या फिर एक कनवर्टिबल इंस्ट्रूमेंट्स के सम्मिश्रण से फंड दिया जा सकता था।

रियल एस्टेट लेंडिंग के लिए काम कर रहे एक बैंकर ने बताया कि रियल एस्टेट क्षेत्र में आए एक तेज गिरावट से ये अधिकांश शेयरधारक इससे बाहर जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें घाटा हो रहा है।

इसी के चलते रिजर्व बैंक चाहता है कि रियल एस्टेट को दिए जाने वाले लोन का उपयोग डेट या फिर इक्विटी कंपोनेंट की फाइनेंसिंग में नहीं होना चाहिए जिन्हें प्राइवेट इक्विटी कारोबारियों ने फाइनेंस किया था। यही कारण है कि जिसके चलते तरलता की स्थिति आसान होने के बाद भी बैंक रियल एस्टेट कंपनियों को फाइनेंस करने में हिचकिचा रहीं हैं। 

पीई सौदों की स्ट्रक्चरिंग के काम से जुड़े एक मचर्ट बैंकर के अनुसार यह अधिकांश फाइनेंसिंग विदेशी फंड्स और प्राइवेट इक्विटी पार्टियों के जरिए हुई है जिसमें एक कॉल ऑप्शन होता है।

यह कॉल ऑप्शन का नियम पीई को स्थितियां अनुकूल न होने या या फिर स्थितियों के बिगड़ जाने की स्थिति में अपना फंड वापस लेने का विकल्प प्रदान करता है।

इस बाबत विजया बैंक के निदेशक मंडल के एक सदस्य का कहना है कि बैंकों को रियल एस्टेट को कर्ज देने वाली गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एबीएफसी) को दिए जाने वाले क्रेडिट प्रोफाइल के बिगड़ने का अंदेशा है।

आखिर जब बैंकों को कर्ज दिए जाने पर  डिफॉल्ट होने का अंदेशा रहता है तो फिर  बैंक नइ क्षेत्रों को अतिरिक्त कर्ज क्यों मुहैया कराए।

एक मचर्ट बैंकर के अनुसार व्यवसायिक रियल एस्टेट क्षेत्र में अचानक मांग गिरने के कारण कुछ पीई फंड अपने निवेश के भविष्य को लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं हैं।

इसके साथ इन फंडों के वैश्विक साझेदारों पर भी वित्तीय संकट की कड़ी मार पड रही है। इसको देखते हुए  वे अपने निवेश को निकालना चाह रहे हैं।

First Published : December 12, 2008 | 9:48 PM IST