डिजिटल रास्ते से मिल रहे कर्ज पर बढ़ रही चिंता दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज डिजिटल ऋण के दिशानिर्देश जारी कर दिए। इनका मकसद ऐसी गतिविधियों पर नियामकीय नियंत्रण मजबूत करना है। दिशानिर्देश में साफ कहा गया है कि ऋण कारोबार वे कंपनियां ही कर सकती हैं, जो उसके कायदों पर चलती हों या जिन्हें कानूनी मंजूरी मिली हो।
केंद्रीय बैंक ने डिजिटल ऋणदाताओं को तीन श्रेणियों में बांटा है। पहली, जो कंपनियां आरबीआई के कायदों पर चलती हैं और जिन्हें ऋण कारोबार की मंजूरी है। दूसरी, जो कंपनियां अन्य वैधानिक या नियामकीय प्रावधानों के मुताबिक ऋण देने के लिए अधिकृत हैं, लेकिन आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं हैं। तीसरी, किसी वैधानिक या नियामकीय प्रावधानों के दायरे से बाहर ऋण देने वाली कंपनियां। आरबीआई के दिशानिर्देश पहली श्रेणी यानी उसके द्वारा विनियमित कंपनियों के लिए हैं। दूसरी और तीसरी श्रेणी में आने वाली कंपनियों के लिए आरबीआई ने कहा है कि संबंधित नियामक या नियंत्रक प्राधिकरण या केंद्र सरकार को इस विषय पर बनाए गए कार्यसमूह की सिफारिशों के आधार पर दिशानिर्देश बनाने चाहिए। यह कार्यसमूह आरबीआई ने जनवरी 2021 में बनाया था।
केंद्रीय बैंक ने आरबीआई के कायदों पर चलने वाली कंपनियों (आरई), उनके ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी), आरई के डिजिटल ऋण ऐप (डीएलए) के लिए कहा है कि सभी ऋणों का वितरण और अदायगी कर्जदार और आरई के बैंक खातों के जरिये ही होनी चाहिए। आरई पक्का करें कि एलएसपी को फीस सीधे उनके द्वारा ही चुकाई जाए और एलएसपी सीधे कर्जदारों से इसकी वसूली नहीं करे। इसके साथ ही सालाना प्रतिशत दर (एपीआर) के रूप में डिजिटल ऋणों की कुल लागत कर्जदार को बताई जानी चाहिए। इसके अलावा आरई को सभी डिजिटल ऋण उत्पादों के लिए मानक प्रारूप में करार करने से पहले कर्जदार को अहम तथ्य भी बताने होंगे।
आरबीआई ने कहा, ‘केएफएस में जिस शुल्क का उल्लेख नहीं किया गया है, वह आरई कर्ज की अवधि के दौरान किसी भी समय कर्जदार से नहीं वसूल सकता।’ अहम तथ्यों के विवरण में एपीआर का विवरण, वसूली व्यवस्था की शर्तें, डिजिटल ऋण या फिनटेक से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए शिकायत निवारण अधिकारी का विवरण तथा कूलिंग ऑफ या लुक-अप अवधि होनी चाहिए। नियामक ने यह भी कहा है कि कर्जदार से साफ-साफ पूछे बगैर ऋण सीमा में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती। नियमित कंपनियों को उन एलएसपी और डीएलए की सूची प्रकाशित करनी होगी, जिन्हें वे जोड़ेंगी। इसके अलावा उन्हें अपनी वेबसाइट यह भी बताना होगा कि उन्हें किसलिए जोड़ा गया है।आरई से कहा गया है कि वे डिजिटल ऋण ऐप पर कोई ऋण देने से पहले कर्ज लेने वाले की आर्थिक हैसियत जांचेंगी ताकि उनकी कर्ज लेने की क्षमता पता चल सके। उन्हें डिजिटल ऋण के लिए एलएसपी के साथ साझेदारी करने से पहले व्यापक जांच पड़ताल से गुजरना होगा। इन आरई को एलएसपी की तकनीक क्षमताओं, डेटा निजता नीतियों और स्टोरेज प्रणाली पर ध्यान देना होगा।
आरबीआई ने कहा, ‘आरई को सुनिश्चिचत करना होगा कि उनके द्वारा जोड़े जाने वाले एलएसपी अपने परिचालन के लिए आवश्यक कुछ बुनियादी डेटा (उदाहरण के लिए ग्राहक का नाम, पता, संपर्क विवरण आदि) के अलावा कर्जदार की निजी सूचनाएं अपने पास नहीं संजोएंगे।’आरबीआई ने कहा कि कार्यकारी समूह की कुछ सिफारिशों पर सरकार के साथ व्यापक परामर्श करने की जरूरत है। डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डीएलएआई) ने कहा कि आरबीआई ने एक खाका प्रस्तुत किया है जिससे डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र को जिम्मेदार तरीके से सतत विकास करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही नियामक ने ग्राहकों के हितों और डेटा की सुरक्षा से संबंधित चिंता को भी दूर करने का सार्थक प्रयास किया है।