वित्त-बीमा

Bank liquidity challenge: नकदी के लिए बैंकों को प्रतिभूति का सहारा

इक्रा ने अनुमान लगाया है कि जुलाई सितंबर तिमाही में 45,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिभूतिकरण और डायरेक्ट असाइनमेंट संबंधी सौदे होंगे।

Published by
मनोजित साहा   
अभिजित लेले   
Last Updated- September 19, 2024 | 9:54 PM IST

कर्ज की जोरदार मांग के बीच बैंकों को धन जुटाने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वे नकदी की स्थिति सुधारने के लिए प्रतिभूतिकरण के मार्ग का सहारा ले रहे हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान लगाया है कि जुलाई सितंबर तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही) में 45,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिभूतिकरण और डायरेक्ट असाइनमेंट संबंधी सौदे होंगे।

निजी क्षेत्र का देश का सबसे बड़ा बैंक एचडीएफसी बैंक नकदी जुटाने के लिए 2 से 6 वर्ष की मैच्योरिटी वाले पास थ्रू सर्टिफिकेट (पीटीसी) के 3 अलग अलग सौदों के माध्यम से 9,062 करोड़ रुपये मूल्य के नए कार ऋण का प्रतिभूतिकरण करेगा।

हाल के समय के सबसे बड़े सौदों में से एक, इस सौदे से कर्जदाता को ऋण-जमा (सीडी) दर की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी, जो पिछले साल एचडीएफसी लिमिटेड के विलय के बाद 100 प्रतिशत के पार पहुंच गया है।

क्रिसिल द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में 10,000 करोड़ रुपये का प्रतिभूतिकरण हुआ था, जिसमें ज्यादातर सौदे लघु वित्त बैंकों ने किए थे। वहीं इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही) के दौरान 8,500 करोड़ रुपये के सौदे हुए हैं, जिसमें ज्यादातर निजी क्षेत्र के बड़े सौदे हैं।

क्रिसिल का कहना है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) सहित कुल मिलाकर प्रतिभूतिकरण की मात्रा वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 45,000 करोड़ रुपये रही, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में समान मदों के आधार पर 17 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जिसमें एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के विलय और गोल्ड लोन के नियामक कदमों को भी शामिल किया गया है।

क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अजित वेलोनी ने कहा, ‘जमा में वृद्धि की दल लगातार कर्ज में वृद्धि की दर से पीछे चल रही है। ऐसे में धन जुटाने के लिए बैंक अतिरिक्त साधन आजमा रहे हैं। प्रतिभूतिकरण बैंकों के लिए धन जुटाने का एक बेहतर साधन हो सकता है, जिसमें बढ़े नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) की जरूरत नहीं होती है।’

वेलोनी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि और बैंक, खासकर अधिक सीडी अनुपात वाले बैंक निकट से लेकर मध्यावधि के हिसाब से प्रतिभूतिकरण का रास्ता चुनेंगे।’ बैंकरों का कहना है कि प्रतिभूतिकरण बैंकों के लिए धन जुटाने का कुशल साधन है, क्योंकि इसका लाभ यह है कि परिसंपत्ति बैलेंस शीट से हट जाती है, जिससे सीडी अनुपात के नियंत्रण में मदद मिलती है।

इक्रा में स्ट्रक्चर्ड फाइनैंस रेटिंग्स के ग्रुप हेड अभिषेक डाफरिया के मुताबिक कुछ बैंकों ने प्रतिभूतिकरण के लिए जमीनी काम करना शुरू कर दिया है, जिससे नकदी का इंतजाम किया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘इस वक्त अधिक सीडी अनुपात की वजह से सीधे असाइनमेंट, कर्ज की बिक्री और पार्सल आफ लोन के लिए पीटीसी जारी करने की गतिविधि बढ़ रही हैं। सीधे असाइनमेंट के साथ पीटीसी सिक्योरिटीज से प्रतिभूतिकरण तिमाही के दौरान 45,000 से 50,000 करोड़ रुपये रहने की संभावना है।’

रेटिंग एजेंसियों को उम्मीद है कि तिमाही के आखिरी पखवाड़े के दौरान प्रतिभूतिकरण में वृद्धि होगी। डाफरिया ने कहा, ‘इस महीने में अभी भी 10 दिन बचे हुए हैं और ज्यादातर मात्रा इस अवधि में ही आनी है। सही तस्वीर अक्टूबर 2024 के पहले सप्ताह में ही सामने आ पाएगी।’

First Published : September 19, 2024 | 9:54 PM IST