वित्त-बीमा

बैंक धोखाधड़ी के तौर-तरीके डिजिटल लेनदेन में बदल गए

Published by
सुब्रत पांडा
Last Updated- December 28, 2022 | 11:56 PM IST

2021-22 के दौरान धोखाधड़ी की औसत राशि, धोखाधड़ी में शामिल कुल राशि को धोखाधड़ी की संख्या से विभाजित करने के रूप में परिभाषित की गई जिसमें काफी कमी आई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के रुझान एवं प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान शामिल कुल राशि भी कम हो गई है और 2022-23 के पहले छह महीनों में ऐसा लगता है कि यह और भी नीचे चला गया है, लेकिन ठगी के मामले बढ़ रहे हैं।

आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घटना की तारीख के आधार पर, अग्रिमों से संबंधित धोखाधड़ी 2019-20 से पहले की सबसे बड़ी श्रेणी थी। लेकिन, बाद में धोखाधड़ी की संख्या के संदर्भ में, कार्यप्रणाली कार्ड या इंटरनेट-आधारित लेनदेन में स्थानांतरित हो गई। साथ ही नकद धोखाधड़ी भी बढ़ रही है।

इसके अलावा, निजी बैंकों द्वारा दर्ज किए गए धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 2021-22 में लगातार दूसरे वर्ष सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से अधिक हो गई। हालांकि, शामिल राशि के संदर्भ में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 2021-22 में 66.7 फीसदी थी, जबकि पिछले वर्ष यह 59.4 फीसदी थी।

First Published : December 28, 2022 | 11:02 PM IST