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अपनी उम्र के अनुसार उठाएं धारा 80 सी के लाभ

Last Updated- December 09, 2022 | 10:20 PM IST

वित्त वर्ष का यह समय कुछ ऐसा होता है तब करदाता धारा 80 सी के तहत आने वाली योजनाओं में निवेश के लिए सक्रिय हो उठते हैं।


धारा 80 सी के तहत निवेश की अधिकतम सीमा एक लाख रुपये की है और यही वजह है कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बीमा और म्युचुअल फंड कंपनियां इस दौरान नई-नई योजनाएं लॉन्च करना शुरू कर देती हैं। हालांकि, आंख मूंद कर इन योजनाओं में निवेश करना कहीं से भी बुध्दिमानी नहीं का जा सकती है।

आम तौर पर, अधिकांश लोग अपने पैसों का एक बड़ा हिस्सा पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेशित करते हैं और शेष राशि के निवेश के लिए वे बीमा योजनाएं या म्युचुअल फंड की योजनाओं का चयन करते हैं।

आइए जानते हैं कि जिन लोगों ने अभी तक कर बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है उन्हें अपनी उम्र के अनुसार धारा 80 सी के तहत कहां निवेश करना चाहिए।सबसे पहले हम उपलब्ध विकल्पों के बारे में जानते हैं।

निवेश
गैर-निवेशोन्मुख
निवेश के विकल्पों में निम्लिखित शामिल हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और ऐच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ)
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)
राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एनएससी)
बैंक जमा
जीवन बीमा प्रीमियम
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस)
पेंशन पॉलिसी प्रीमियम
म्युचुअल फंडों की पेंशन योजनाएं
वरिष्ठ नागरिक जमा योजनाएं (एससीएसएस)
गैर-निवेशोन्मुख विकल्प में शामिल हैं-
आवासीय ऋण के मूलधन का भुगतान
बच्चों के स्कूल और कॉलेज के शुल्क


तो अब आप कैसे तय करेंगे के 90 सी के किस विकल्प का चयन किया जाए? नौकरीपेशे वालों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि ईपीएफ में किया जाने वाला निवेश कुल सीमा में जोड़ा जाता है। इसलिए, शेष राशि का निवेश ही विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।

उम्र 21 से 30

इस उम्र के दायरे में आने वाले अधिकांश लोग शादीशुदा नहीं होते और उनके ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर करने वाले लोगों की संख्या या तो शून्य होती है या फिर बहुत कम। अगर कोई आर्थिक तौर पर निर्भर नहीं है तो भारी-भरकम जीवन बीमा पॉलिसी लेने की जरूरत ज्यादा नहीं है।

इसके बजाए प्रतिफल पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इक्विटी बाजा के वर्तमान हालात को देखते हुए, एक बड़ा हिस्सा, धारा 80 सी के तहत किए जाने वाले निवेश का लगभग 70 से 80 प्रतिशत ईएलएसएस में किया जा सकता है जो प्राथमिक तौर पर शेयरों में निवेश करता है।

इससे सुनिश्चित होगा कि आप दीर्घावधि की निवेश-प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, चूंकि इन योजनाओं की लॉक-इन अवधि 3 वर्षों की होती है इसलिए न चाहते हुए भी निवेश जारी रखने में मदद मिलेगी (फोर्स्ड सेविंग)।

ईएलएसएस योजनाओं का चुनाव करते समय एक बार के प्रदर्शन की बजाए लगातार होते रहे प्रदर्शनों पर गौर फरमाएं। वैसे फंड हाउस की योजनाओं का चयन करें जिनके ट्रैक रिकॉर्ड लंबी समयावधि में अच्छे हों।

शेष राशि का निवेश आप वीपीएफ में कर सकते हैं। वीपीएफ के लिए आप अपने कार्यालय के मानव संसाध विभाग से कह सकते हैं कि वे आपके वेतन से अधिक राशि की कटौती करें।

आपके अतिरिक्त योगदान की बराबरी आपका नियोक्ता नहीं करेगा, जैसा कि ईपीएफ के मामले में होता है। वीपीएफ के तहत 8.5 प्रतिशत का प्रतिफल दिया जाता है जो ईपीएफ के 8 प्रतिशत से अधिक है।

उम्र 31 से 40

इस वय तक यह अनुमान लगाया जाता है कि आपकी शदी हो चुकी होगी और आपके छोटे-छोटे बच्चे हों। इसके अलावा कुछ और भी देनदारियां हो सकती है जो घर की खरीदारी और कार खरीदने से संबध्द हों।

सबसे पहले तो इस वय वर्ग के लोगों को जीवन बीमा निश्चित तौर पर ले लेना चाहिए। जीवन बीमा लेते वक्त यह सुनिश्चित कर लिया जाना चाहिए कि आप अपनी सभी देनदारियों को कवर कर रहे हैं ताकि दुर्भाग्यवश अगर आपकी मृत्यु हो जाती है तो आपके ऊपर निर्भर करने वालों पर किसी प्रकार आर्थिक दबाव न पड़ने पाए।

टर्म इंश्योरेंस सबसे बढ़िया विकल्प है क्योंकि यह सस्ते में ज्यादा राशि का कवर उपलब्ध कराता है। इस उम्र-समूह के लोगों के लिए आवास ऋण के मूलधन का भुगतान भी आयकर में बचात का दूसरा माध्यम बन सकता है।

इसलिए ईपीएफ, जीवन बीमा प्रीमियम और होम लोन के मूलधन का भुगतान से धारा 80 सी के तहत किए जाने वाले अधिकतम एक लाख रुपये के निवेश का काम पूरा हो जाना चाहिए।

उम्र 41-50

उम्र के इस पड़ाव में लोग या तो अपने करियर के चरम पर होते हैं या फिर आगे बढ़ रहे होते हैं। बच्चे भी बड़े हो चुके होते हैं। आप इस समय कॉलेज के शुल्क का भुगतान कर रहे होते हैं जिसक 80 सी के लाभों में सम्मिलित किया जा सकता है।

उम्र की इस अवधि ही ऐसी होती है जिसमें लोगों को परिवार की योजनाओं और ऋण चुकता करने के साथ-साथ इत्मीनान से सेवानिवृत्त होने के बारे में सोचना चाहिए। यही वह वय है जिसमें जीवन की महत्ता सबसे अधिक होती है।

इस समय एक बार फिर से अपने जीवन बीमा कवर का आकलन कीजिए, अगर ज्यादा की जरूरत है तो ले डालिए। जीवनशैली से उत्पन्न होने वाली बीमारियां, छोटे-मोटे रोग और चिंता इस उम्र-समूह के लोगों के परिवार के लिए चिंता की विषय होती हैं।

इसलिए जोखिम प्रबंधन का यहां काफी महत्व है। एक बार फिर, पर्याप्त बीमा कवर लेने के बाद आप ईएलएसएस और वीपीएफ जैसे विकल्पों में पैसों का निवेश कर सकते हैं।

ईएलएसएस, वीपीएफ और पीपीएफ में कितना निवेश किया जाना चाहिए यह आपके जोखिम उठाने की क्षमताओं, अनुमानित प्रतिफल और नकदी की जरूरतों पर निर्भर करता है।

उम्र 50 से 60

नियमित आय प्राप्त करने का यह अंतिम चरण होता है। इस समय तक ऋण चुकता कर दिया गया हो तो बड़ी अच्छी बात है। बच्चे भी अब तक आत्मनिर्भर होने की अवस्था में पहुंच चुके होते हैं।

उम्र के इस पड़ाव में तिना संभव हो सके उतनी राशि आपको वीपीएफ में निवेशित करनी चाहिए। वीपीएफ में सबसे अधिक तरलता होती है और अगर आप पांच साल से अधिक अवधि से इसमें निवेश करते आ रहे हैं तो कर-मुक्त निकासी करना भी संभव है।

अगर आपने वीपीएफ में जमा नहीं किया है या ऐसी व्यवस्था नहीं है तो पहले पीपीएफ को तरजीह दें फिर शेष रकम का निवेश ईएलएसएस में करें।

वरिष्ठ नागरिक

इस वय में पूंजी सुरक्षित रखना और नियमित आय की जरूरत, दो प्रमुख आवश्यकताएं होती हैं। सर्वप्रथम आपको वरिष्ठ नागरिक बचता योजना (एससीएसएस) का चयन करना चाहिए ताकि इस प्रकार के लाभ आपको मिल सकें।

एसएसीएसएस के तहत एकमुश्त राशि का निवेश किया जाता है इसलिए सावधि जमाओं पर भी निगाह डालिए। हो सकता है सावधि जमाओं के ब्याज दर अधिक हों।

अगर ब्याज दर कम चल रही हो तो आप पीपीएफ का चयन कर सकते हैं, खास तौर से तब जब उच्च कर वर्ग में शामिल हैं। अगर पीपीएफ में आप पिछले 5 साल से निवेश करते आ रहे हैं तो इत्मीनान के साथ कर-मुक्त निकासी भी कर सकते हैं।

निवेश की राशि का एक छोटा हिस्सा (लगभग 10 से 15 प्रतिशत) आप ईएलएसएस में भी लगा सकते हैं। इससे महंगाई को मात देने में मदद मिल सकती है और आपके फंड में अच्छी बएोतरी भी हो सकती है।

लेखक माई फाइनैंशियल एडवाइजर के निदेशक हैं।

First Published - January 18, 2009 | 9:16 PM IST

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