दीर्घावधि लाभ पर कर बचाने में 54ईसी बॉन्ड से मदद

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:10 PM IST

आरईसी (जो पहले रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन थी) ने 1 अप्रैल को 54ईसी कैपिटल गेंस टैक्स एग्जेंप्शन बॉन्ड की नई शृंखला (16) शुरू की है। इन बॉन्ड में निवेश करने से कोई व्यक्ति भूखंड या इमारत के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर धारा 54ईसी के तहत कर छूट का दावा कर सकता है।
कम से कम दो से रखी संपत्ति बेचने से होने वाले दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर आपको कर अदा करना होता है। आयकर अधिनियम की धारा 54ईसी के अंतर्गत बताए गए बांडों में दीर्घावधि केपूंजीगत लाभ के बराबर राशि का निवेश करके आप कर भुगतान करने से बच सकते हैं। इस धारा के अंतर्गत 50 लाख रुपये तक की छूट की अनुमति है।
हिंदू अविभाजित परिवार के सदस्य और व्यक्ति दोनों ही 54ईसी बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। लेकिन यह निवेश पूंजीगत परिसंपत्ति का हस्तांतरण किए जाने के छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए। इन बॉन्ड का अंकित मूल्य 10,000 रुपये है। निवेशक न्यूनतम दो और अधिकतम 500 बॉन्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन बॉन्ड को अधिकतम रेटिंग मिली है।
ऑनलाइन कर प्रबंधन पोर्टल टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्यकारी दीपक जैन कहते हैं ‘निवेशकों को दीर्घावधि पूंजीगत लाभ से कर छूट का लाभ दिलाने के अलावा एएए रेटिंग वाले ये बॉन्ड सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।’ लॉक-इन अवधि खत्म होने के बाद यह पैसा आपका होता है। पंजीकृत निवेश सलाहकार संघ के निदेशक मंडल के सदस्य विशाल धवन कहते हैं ‘पांच साल पूरे होने के बाद आप जहां चाहें रकम निवेश करें।’
मगर ये बॉन्ड केवल 5 प्रतिशत ब्याज देते हैं, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर (अभी 6.95 प्रतिशत) के मुकाबले काफी कम है। साथ ही मिलने वाले ब्याज पर कर भी लगता है।
धवन कहते हैं ‘वार्षिक पांच प्रतिशत ब्याज का भुगतान अनिवार्य रूप से किया जाता है, इसलिए निवेशकों को इन बान्ड से अर्जित ब्याज का चक्रवृद्धि लाभ नहीं मिलता है।’ मगर जैन समझाते हैं कि निवेशक पांच साल की लॉक-इन अवधि से पहले ही निवेश निकाल लेंगे तो पूंजीगत लाभ पर कर छूट खत्म हो जाती है और समूची राशि पर कर लग जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को इन बॉन्ड में अपने निवेश पर दोहरा लाभ उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा कहते हैं ‘अगर किसी कर दाता ने निर्दिष्ट बॉन्ड में निवेश के मामले में छूट का दावा किया है, तो वह धारा 80सी के तहत भी उसी निवेश पर कटौती का दावा नहीं कर सकता।’
जिस वित्त वर्ष में परिसंपत्ति का हस्तांतरण किया जाता है, उसके दौरान और उसके बाद वाले वर्ष में इन बॉन्ड में निवेश 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
पहले करदाता एक करोड़ रुपये के पूंजीगत लाभ पर छूट पाने के लिए कानून में खामियों का इस्तेमाल किया करते थे। वे दो वित्त वर्ष में दो बार 50 लाख रुपये का निवेश करते हुए ऐसा किया करते थे। वे एक बार 31 मार्च से पहले और फिर 1अप्रैल या उसके बाद लाभ पाने के छह महीने के भीतर निवेश करते थे। वाधवा कहते का कहना है कि कानून के द्वारा अब इसकी अनुमति नहीं है। जो निवेशक पांच साल तक पैसा फंसा सकते हैं, वे ही इनमें निवेश करें। अगर पूंजीगत लाभ पर कर देयता कम हो या निवेशक को धन की तुरंत आवश्यकता हो, तो उसे 20 प्रतिशत कर का भुगतान करना चाहिए और इन बॉन्ड में निवेश नहीं करना चाहिए। दूसरी तरफ अगर कर देयता अच्छी-खासी हो, तो उन पर विचार किया जा सकता है। निवेशक कर का भुगतान भी कर सकते हैं और शेष राशि प्रत्यक्ष इक्विटी और इक्विटी युचुअल फंड जैसे साधनों में निवेश कर सकते हैं, जिनमें अधिक प्रतिफल प्रदान करने की क्षमता होती है।
 

First Published : May 8, 2022 | 11:20 PM IST