विधानसभा चुनाव

हरियाणा विधान सभा चुनाव: बीतते समय के साथ छोटे दलों का सिकुड़ रहा दायरा, भाजपा और कांग्रेस को बढ़त की उम्मीद

छोटे दलों की मत हिस्सेदारी की गिरावट लोक सभा चुनावों में सबसे ज्यादा देखने को मिली थी, लेकिन यह विधान सभा चुनावों में भी ध्यान देने लायक है।

Published by
अर्चिस मोहन   
Last Updated- October 04, 2024 | 10:32 PM IST

साल 2014 के बाद से हरियाणा के छोटे राजनीतिक दलों की मत हिस्सेदारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के पास चली गई है। यह एक ऐसा चलन हो गया है जिसे इस बार ये राजनीतिक दल अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेंगे। शनिवार को प्रदेश के 90 विधान सभा सीटों पर चुनाव के लिए मतदान होना है।

एक तरफ देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस बेरोजगारी और किसानों आंदोलन के मुद्दे पर चुनावी मैदान में है और राज्य के जाट और अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की उम्मीद कर रही है। वहीं चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने सरकारी विभागों में रिक्त सीटों को भरा था और राज्य के अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की भी घोषणा की थी।

छोटे दलों की मत हिस्सेदारी की गिरावट लोक सभा चुनावों में सबसे ज्यादा देखने को मिली थी, लेकिन यह विधान सभा चुनावों में भी ध्यान देने लायक है। साल 2014 के विधान सभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर करीब 54 फीसदी मत हासिल किए थे, जो साल 2019 के विधान सभा चुनावों में बढ़कर करीब 65 फीसदी हो गए।

साल 2024 के लोक सभा चुनावों में छोटे दलों का सूपड़ा साफ हो गया। भाजपा और कांग्रेस (अपनी सहयोगी आम आदमी पार्टी) ने करीब 94 फीसदी मत हासिल किए। छोटे दलों में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) को बमुश्किल 0.87 फीसदी मत हिस्सेदारी ही मिल सकी। इंडियन नैशनल लोकदल (आईएनएलडी) की 1.74 फीसदी और बसपा की 1.28 फीसदी मत हिस्सेदारी रही।

पांच साल पहले यानी 2019 के विधान सभा चुनावों में जजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 14.84 फीसदी मत हिस्सेदारी के साथ 10 सीटों पर जीत हासिल की। मगर इस बार के विधान सभा चुनावों से पहले जजपा के दसों विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा या फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

इस साल के विधान सभा चुनावों में जजपा ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन किया है। आईएनएलडी का गठबंधन बसपा के साथ है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में लोक सभा और विधान सभा चुनावों में 4 से 5 फीसदी की मत हिस्सेदारी हासिल की है, लेकिन पार्टी इस साल लोक सभा चुनावों में बुरी तरह पिट गई थी। दोनों दलों को उम्मीद है कि उनकी जाट-अनुसूचित जाति गठबंधन को लोगों का समर्थन मिलेगा। कांग्रेस के साथ गठबंधन में विफल रहने पर आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

 

First Published : October 4, 2024 | 10:32 PM IST