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Odisha Assembly Elections: भाजपा ने खत्म की पटनायक की पारी

वोट प्रतिशत के हिसाब से देखें तो भाजपा को 39.89 प्रतिशत मत मिले हैं, जो 2019 के 32.8 प्रतिशत से अधिक है।

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रमनी रंजन महापात्र   
Last Updated- June 04, 2024 | 11:30 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्यवाणी की थी कि 4 जून ओडिशा में नवीन पटनायक की 24 साल के शासन की एक्सपायरी की तिथि पूरी हो जाएगी, जो सही साबित हुआ है। भारतीय जनता पार्टी ने किसी भारतीय राज्य में सबसे लंबे समय तक शासन करने के बीजू जनता दल की महत्त्वाकांक्षा को विराम दे दिया।

ऐसा पहली बार हो रहा है कि पटनायक विपक्ष में बैठेंगे। खबर लिखे जाने तक राज्य की 147 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा ने 78 सीटों पर बढ़त/जीत दर्ज कर ली थी, जबकि 2019 में 22 सीट पर जीत मिली थी, जो 74 के बहुमत के आंकड़े से अधिक है। राज्य में कांग्रेस ने 14 सीट पर जीत दर्ज की है, जिसने 2019 की तुलना में 5 सीट अधिक जीती है।

वोट प्रतिशत के हिसाब से देखें तो भाजपा को 39.89 प्रतिशत मत मिले हैं, जो 2019 के 32.8 प्रतिशत से अधिक है। वहीं दूसरी तरफ बीजद का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव के 45.2 प्रतिशत से गिरकर 40.18 प्रतिशत रह गया है।

1997 में पार्टी के गठन के बाद पटनायक कभी चुनाव नहीं हारे हैं। बहरहाल 77 साल के दिग्गज कांटाबंजी विधानसभा क्षेत्र से पीठे चल रहे थे, हालांकि हिंजिली विधानसभा पर उन्होंने जीत हासिल कर ली है। कम से कम 8 कैबिनेट मंत्री चुनाव हार गए हैं। 2019 के चुनाव के विपरीत इस बार राज्य के चुनाव में मतों का विभाजन नहीं हुआ क्योंकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ साथ हुए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता विरोधी लहर के साथ ऊब की वजह भी प्रमुख रही है। वरिष्ठ पत्रकार संदीप साहू ने कहा कि पटनायक अपने विश्वस्त सहयोगी वीके पांडियन पर पूरी तरह निर्भर हैं, जिन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़ दी है और 2023 में बीजद में शामिल हो गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘पटनायक जमीनी हकीकत नहीं समझ सके। पिछले साल जब पांडियन ने लोगों का रुख जानने के लिए जिलों का दौरा किया जो बीजद के खिलाफ माहौल बनने लगा।’

भाजपा के पास बीजद के बराबर संगठनात्मक ताकत नहीं थी। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने ओडिया गौरव और जगन्नाथ मंदिर से जुड़े भावनात्मक मुद्दों के साथ प्रचार अभियान चलाया। इसके माध्यम से पार्टी ने मतदाताओं के दिलों में जगह बनाई।

सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए बीजद ने विपक्षी नेताओं को टिकट दिया, जिसकी वजह से पार्टी के कैडर में विद्रोह हो गया। वरिष्ठ पत्रकार प्रसन्न मोहंती ने कहा बीजद ने कल्याणकारी पहल पर ध्यान केंद्रित किया, प्रशासन पर ध्यान कम रहा, जबकि भाजपा सत्तासीन दल के सुरक्षित वोटबैंक महिलाओं व युवाओं को खींचने में सफल रही। महिलाओं ने भाजपा के 50,000 रुपये नकदी पर भरोसा किया, जो उन्हें सौभाग्य योजना के तहत 2 साल तक देने का वादा किया है।

First Published : June 4, 2024 | 11:30 PM IST