facebookmetapixel
अगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाचुनाव से पहले बिहार को बड़ी सौगात: ₹7,616 करोड़ के हाईवे और रेलवे प्रोजेक्ट्स मंजूरBYD के सीनियर अधिकारी करेंगे भारत का दौरा, देश में पकड़ मजबूत करने पर नजर90% डिविडेंड + ₹644 करोड़ के नए ऑर्डर: Navratna PSU के शेयरों में तेजी, जानें रिकॉर्ड डेट और अन्य डिटेल्समद्रास HC ने EPFO सर्कुलर रद्द किया, लाखों कर्मचारियों की पेंशन बढ़ने का रास्ता साफFY26 में भारत की GDP 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी हो सकती है: FitchIncome Tax Refund: टैक्स रिफंड अटका हुआ है? बैंक अकाउंट वैलिडेशन करना तो नहीं भूल गए! जानें क्या करें2 साल के हाई पर पहुंची बॉन्ड यील्ड, एक्सपर्ट ने बताया- किन बॉन्ड में बन रहा निवेश का मौकाCBIC ने दी चेतावनी, GST के फायदों की अफवाहों में न फंसे व्यापारी…वरना हो सकता है नुकसान‘Bullet’ के दीवानों के लिए खुशखबरी! Royal Enfield ने 350 cc बाइक की कीमतें घटाई

MP Elections 2023 : रोजगार के लिए पीढ़ियों से जारी पलायन, एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रही भाजपा और कांग्रेस

जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित यह सीट लम्बे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही है। रण सिंह आदिवासियों के भील समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

Last Updated- November 11, 2023 | 1:06 PM IST
Lok Sabha Elections

‘‘हम मजदूरी के लिए गुजरात नहीं जाएं, तो और क्या करें, पथरीली जमीन होने से खेत में फसल कम पकती है। खेती से किसी तरह बस अपने गुजारे लायक अनाज मिल पाता है।’’

आदिवासी किसान रण सिंह (60) यह जवाब देते हैं, जब उनसे पूछा जाता है कि झाबुआ जिले के लोग बड़ी तादाद में रोजी-रोटी के लिए पड़ोस राज्य गुजरात का रुख क्यों करते हैं? झाबुआ के जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर एक ‘‘फलिये’’ (छितरी हुई बसाहट जिनमें घाटियों पर घर बने होते हैं) में रहने वाले रण सिंह रबी फसल की बुआई के लिए इन दिनों अपना छोटा-सा खेत तैयार कर रहे हैं।

प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के प्रचार की चरम पर पहुंचती सरगर्मियों से दूर इस ‘‘फलिये’’ में खामोशी है, लेकिन रोजगार के लिए आदिवासियों का पलायन झाबुआ सीट का अहम मुद्दा है। जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित यह सीट लम्बे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही है। रण सिंह आदिवासियों के भील समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

उन्होंने स्थानीय बोली में ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘मैं खुद कई साल पहले कपास चुनने के लिए गुजरात गया था। हालांकि, मैं बाद में खेती के लिए अपने फलिये में लौट आया, लेकिन फलिये के हर घर से एक-दो लोग मजदूरी के लिए अब भी गुजरात में हैं।’’

आदिवासी किसान ने बताया कि उनके फलिये के आस-पास के इलाकों में 250 रुपये प्रति दिन के हिसाब से दिहाड़ी मिलती है। उन्होंने बताया,‘‘गुजरात में इससे ज्यादा दिहाड़ी मिलती है, लेकिन इसके लिए हमें वहां रात-दिन काम करना पड़ता है।’’ कुल 3.13 लाख मतदाताओं वाली झाबुआ सीट से कांग्रेस ने युवा कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया को चुनाव मैदान में उतारा है जिनका सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी भानु भूरिया से है। पेशे से चिकित्सक विक्रांत, झाबुआ सीट के मौजूदा विधायक कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं। कांतिलाल की गिनती देश के वरिष्ठ आदिवासी नेताओं में होती है और वह कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। झाबुआ से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत ने आरोप लगाया कि सूबे में भाजपा के 18 साल के राज के दौरान इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘ राजग सरकार की शुरू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से झाबुआ में आदिवासियों का पलायन बड़े स्तर पर रुका था, लेकिन पिछले दो-तीन सालों से मनरेगा के तहत आदिवासी मजदूरों को भुगतान होने में मुश्किल पेश आ रही है और वे पलायन के लिए मजबूर हैं।’’

भाजपा उम्मीदवार भानु भूरिया ने कहा, ‘‘ विक्रांत के पिता कांतिलाल भूरिया झाबुआ से पिछले 45 साल से चुनकर लोकसभा और विधानसभा पहुंचते रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र से पलायन रोकने पर ध्यान ही नहीं दिया। अगर भूरिया कांग्रेस के राज में झाबुआ में नदियों पर बांध बनवा देते, तो आदिवासी किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल जाता जिससे रोजगार के लिए उनके पलायन पर रोक लग सकती थी।’’

2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी गुमान सिंह डामोर ने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत को झाबुआ सीट पर 10,437 मतों से परास्त कर कांग्रेस का गढ़ भेद दिया था। डामोर ने 2019 में झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए उप चुनाव में कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के भानु भूरिया को 27,804 मतों से हरा कर भाजपा से झाबुआ विधानसभा सीट छीन ली थी और अपने बेटे की हार का हिसाब चुकता कर लिया था।

First Published - November 11, 2023 | 1:06 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट