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Lok Sabha Elections 2024: भाजपा फिर काटेगी बड़े स्तर पर टिकट

Lok Sabha Elections: पिछले लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने मार्च 2019 में प्रत्याशियों की घोषणा की तो उसने अपने 268 में से 99 सांसदों यानी 36 प्रतिशत के टिकट एक झटके में काट दिए।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- February 26, 2024 | 11:37 PM IST

भारत-पाकिस्तान सीमा के पास अमृतसर में सोमवार को पूर्व अफसरशाह तरनजीत सिंह संधू ने किसानों के साथ अपनी बातचीत की एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। देश के दूसरे कोने पर नेपाल सीमा से सटे पहाड़ी जिले दार्जिलिंग में पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए मुख्य संयोजक की भूमिका निभाने के बाद स्कूलों में कंप्यूटर और जरूरतमंदों को व्हीलचेयर बांटने जैसे सामाजिक कार्यों में व्यस्त हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने मार्च 2019 में प्रत्याशियों की घोषणा की तो उसने अपने 268 में से 99 सांसदों यानी 36 प्रतिशत के टिकट एक झटके में काट दिए। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के 282 सांसद जीत कर लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन कुछ सासंदों की मौत होने और कुछ उपचुनावों में हार के कारण उसके 268 सांसद ही बचे थे।

पार्टी ने जितने सांसदों के टिकट काटे, उनकी जगह सेवानिवृत्त अफसरशाहों, कलाकारों, क्रिकेटरों जैसे नए चेहरों को मैदान में उतारा। इनमें फिल्मी सितारे सनी देओल, रवि किशन लॉकेट चटर्जी, गायक हंसराज हंस, क्रिकेटर गौतम गंभीर एवं अपराजिता सारंगी जैसे ब्यूरोक्रेट शामिल थे, जो 2019 में पहली बार चुनाव जीतकर सांसद बने।

अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 370 सीटें जीतने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ऐसे सांसदों के टिकट काटेगी जिनके एंटी इंकम्बेंसी के कारण हारने की संभावना बन रही है। आंतरिक सर्वे के आधार पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कमजोर परिणाम वाले सांसदों के टिकट काटने का पूरा मन बना लिया है।

पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना दल और राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर सभी 80 सीटें जीतना चाहती है, जहां पिछले चुनाव में वह 16 सीट हार गई थी। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा दूसरे दलों से जीताऊ उम्मीदवारों को तोड़ने से भी गुरेज नहीं करेगी। इसकी शुरुआत बहुजन समाज पार्टी के रितेश पांडे और झारखंड में कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा से कर दी गई है।

भाजपा इस बार 75 साल से अधिक उम्र के साथ-साथ ऐसे सांसदों को भी मैदान में उतारने की इच्छुक नहीं है, जो अपनी सीट से कई बार जीत हासिल कर चुके हैं। पार्टी अब उन सीटों पर नए लोगों को मौका देना चाहती है। भाजपा ने पिछले लोक सभा चुनाव में 303 सीटें जीती थीं, लेकिन कुछ के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देने और कुछ उपचुनाव में हारने के कारण इस समय उसके 290 सांसद हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने 75 साल से अधिक उम्र के उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे थे।

इस कारण सुमित्रा महाजन, करिया मुंडा, एलके आडवाणी, कलराज मिश्र, बिजोय चक्रवर्ती, बीसी खंडूड़ी, शांता कुमार और मुरली मनोहर जोशी दिग्गज नेता रेस से बाहर हो गए थे। यदि इस बार भी यही रणनीति अपनाई गई तो पार्टी के 15 सांसद तो यूं ही बाहर बैठ जाएंगे, क्योंकि या तो वे 75 साल के हो चुके हैं या होने वाले हैं। इनमें हेमा मालिनी, संतोष गंगवार और रीता बहुगुणा जोशी आदि शामिल हैं।

इनके अलावा इस बार मेनका गांधी, वीरेंद्र कुमार, ब्रिज भूषण शरण सिंह जैसे सांसद हैं, जिन्होंने छह या इससे अधिक बार चुनाव जीता है। इसके आवा 11 सांसद पांच बार, 19 सांसद चार बार और 28 सांसद तीन बार चुन कर लोकसभा पहुंच चुके हैं। राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन होने के कारण इस बार बागपत से सत्यपाल सिंह का टिकट भी कट सकता है।

यही नहीं कुछ सांसदों को इसलिए भी पीछे हटना पड़ सकता है, क्योंकि कुछ मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने वाला है और उन्हें बनाए रखने के लिए लोकसभा के रास्ते सांसद बनाना होगा। इनमें धर्मेंद प्रधान, भूपेंद्र यादव, मनसुख मांडविया और पुरुषोत्तम रुपाला शामिल हैं।

First Published : February 26, 2024 | 11:33 PM IST