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इस्तीफों की झड़ी से डोली JJP की नैया, भाजपा से समर्थन वापस लेना दुष्यंत चौटाला के लिए पड़ रहा महंगा

Haryana politics: जेजेपी मुखिया अजय चौटाला ने मंगलवार को संकेत दिया कि यदि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला पहल करेंगे तो वह दोबारा इनेलो में शामिल हो सकते हैं।

Last Updated- April 10, 2024 | 11:29 PM IST
Slew of resignations rock JJP's boat ahead of Lok Sabha elections इस्तीफों की झड़ी से डोली JJP की नैया, भाजपा से समर्थन वापस लेना दुष्यंत चौटाला के लिए पड़ रहा महंगा

हरियाणा की साढ़े पांच साल पुरानी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गहरे संकट में फंसती जा रही है। जब से उसने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से समर्थन वापस लिया है, पार्टी में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। पार्टी के महासचिव कमलेश सैनी और हरियाणा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष निशान सिंह जैसे हाई प्रोफाइल नेताओं ने सबसे पहले पार्टी का साथ छोड़ने का ऐलान किया।

जेजेपी की प्रदेश महिला मोर्चा की पूर्व सचिव ममता ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी विधायक जोगीराम सिहाग ने मंगलवार को शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखकर गुजारिश की कि उन्हें पार्टी में सभी पदों और जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाए।

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली पार्टी जेजेपी का भविष्य अंधकार में लटका दिखाई दे रहा है, क्योंकि एक के बाद एक इस्तीफों की झड़ी से लोक सभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित होगा। पार्टी ने राज्य की सभी 10 लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

राजनीतिक विश्लेषक महाबीर जगलान कहते हैं कि जेजेपी ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने का कोई बड़ा और प्रभावी कारण नहीं बताया है। जगलान ने कहा, ‘चूंकि जेजेपी का वोट बैंक किसान वर्ग ज्यादा है, इसलिए वह किसानों के मुद्दों को भी भाजपा से अलग होने का कारण बता सकते थे, लेकिन उन्होंने कोई ऐसा ठोस कारण सामने नहीं रखा। लोक सभा चुनाव की लड़ाई मुख्य तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मानी जा रही है। जेजेपी किसी भी खांचे में फिट होती नहीं दिख रही।’

इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट ऐंड कम्युनिकेशन (आईडीसी) के अध्यक्ष प्रमोद कुमार कहते हैं कि भाजपा और जेजेपी के बीच गठबंधन चुनाव बाद हुआ था। अब दोनों के रास्ते अलग होने को भी विश्लेषक बड़ा रणनीतिक कदम मान रहे हैं। ऐसा भी हो सकता है कि पार्टी का विलय इंडियन नैशनल लोक दल (इनेलो) में हो जाए। जगलान ने यह भी संकेत दिया कि दोनों दलों में बातचीत हो चुकी है। जेजेपी का गठन चौटाला परिवार में विवाद के बाद 2018 में इनेलो से टूटकर ही हुआ था।

जेजेपी मुखिया अजय चौटाला ने मंगलवार को संकेत दिया कि यदि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला पहल करेंगे तो वह दोबारा इनेलो में शामिल हो सकते हैं। हालांकि बाद में अजय के भाई अभय चौटाला ने ऐसी किसी भी संभावना को खारिज कर दिया।

भाजपा नेता जयभगवान गोयल कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में मतदाताओं के व्यापक भरोसे को देखते हुए जेजेपी के अलग होने का उनकी पार्टी की संभावनाओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।’ लेकिन, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भले जेजेपी लोक सभा चुनाव में अधिक प्रभावी न रहे, परंतु इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनावों में यह बड़ा खेल कर सकती है।

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज में लोकनीति के सह-निदेशक संजय कुमार ने कहा कि लोक सभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर की पार्टी पर मतदाता अधिक भरोसा करते हें, लेकिन विधान सभा चुनाव में जेजेपी जैसे क्षेत्रीय दल मतदाताओं को लुभाते हैं।

इसी प्रकार द स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स के सह-संस्थापक अभिमन्यु भाटिया कहते हैं कि जेजेपी का अपना वोट बैंक है और हरियाणा विधान सभा में जाट समुदाय का अच्छा-खासा वोट उसे मिल सकता है। जेजेपी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सालों का जवाब नहीं दिया।

First Published - April 10, 2024 | 11:15 PM IST

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