इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने इस सीट पर चुनाव होने से ठीक एक पखवाड़े पहले सोमवार को अपना नामांकन वापस लेने के फैसला कर लिया। अब इस निर्वाचन क्षेत्र में फिलहाल कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं है।
कांग्रेस को दूसरी बार यह झटका लगा और विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को तीसरी बार यह झटका लगा है। पिछले हफ्ते कांग्रेस के सूरत के प्रत्याशी का नामांकन खारिज हो गया था। इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस के समर्थन से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का नामांकन मध्य प्रदेश के खजुराहो से खारिज हो गया जहां 26 अप्रैल को दूसरे चरण के चुनाव के दौरान मतदान हुआ।
ऐसे संकेत हैं कि बम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम सकते हैं। इंदौर में 13 मई को चौथे चरण में मतदान होना है। चौथे चरण के लिए नामांकन दर्ज करने की आखिरी तारीख 25 अप्रैल थी और सोमवार को नामांकन लेने की आखिरी तारीख थी जिसका मतलब यह है कि इंदौर में भाजपा के प्रत्याशी शंकर लालवाणी के खिलाफ कोई कांग्रेस उम्मीदवार नहीं होगा।
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। वहीं राजनीति विश्लेषकों ने कुछ अन्य चिंताओं की ओर ध्यान दिलाया जिसमें निर्वाचन आयोग द्वारा सूरत से भाजपा के मुकेश दलाल के निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा शामिल है जब बाकी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) से जुड़े जगदीप छोकड़ ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कांग्रेस के इंदौर प्रत्याशी ने कोई कानून नहीं तोड़ा है। लेकिन इससे व्यक्तिगत नैतिकता और हमारी पार्टी प्रणाली के कामकाज को लेकर सवाल उठे हैं।’
हालांकि छोकड़ का कहना था कि सूरत के मामले में ही निर्वाचन आयोग ने चुनाव नहीं कराये लेकिन इस पर विचार करने की आवश्यकता थी क्योंकि अगर चुनाव कराये जाते तब मतदाता इनमें से कोई नहीं या नोटा जैसे विकल्प चुन सकते थे।
महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पुदुच्चेरी जैसे कुछ राज्यों में निर्वाचन आयोग ने यह घोषणा की है कि अगर किसी चुनाव में नोटा के पक्ष में ज्यादा मत होता है तब अनिवार्य रूप से चुनाव कराना जरूरी है।
उच्चतम न्यायालय में लेखक शिव खेड़ा की याचिका में यह मांग की गई है कि इन चार राज्यों के नियमों को देश भर में एकरूपता से लागू किया जाना चाहिए। इस याचिका में यह दलील दी गई है कि चार राज्यों के निर्वाचन आयुक्तों के मुताबिक अगर नोटा के पक्ष में ज्यादा वोट जाते हैं तब दूसरे सबसे ज्यादा मत पाने वाले उम्मीदवार की घोषणा करने का अर्थ नोटा के लक्ष्य के अंतनीर्हित सिद्धांतों का उल्लंघन करना है।
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर में 45 वर्षीय बम को भाजपा के स्थानीय विधायक रमेश मेंडोला के साथ जिलाधिकारी के दफ्तर जाते हुए देखा गया जहां उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। वहां से वापसी के बाद वह मेंडोला के साथ थे और उन्होंने पत्रकारों के सवालों को नजरअंदाज किया।
मेंडोला राज्य के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के महत्त्वपूर्ण सहयोगी माने जाते हैं। बाद में विजयवर्गीय ने अपने एक्स अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें बम एक कार में उनके साथ बैठे थे और साथ में मेंडोला भी थे।
मंत्री ने कहा कि बम का भाजपा में स्वागत है। विजयवर्गीय ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और राज्य के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के नेतृत्व में इंदौर से कांग्रेस लोक सभा उम्मीदवार अक्षय कांति बम का भाजपा में स्वागत है।’
नामांकन वापस लिए जाने के बाद बम भाजपा के स्थानीय कार्यालय पहुंचे। भाजपा ने एक तस्वीर भी जारी की जिसमें वह राज्य के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, विजयवर्गीय और अन्य पार्टी नेताओं के बगल में खड़े थे। 13 मई को इंदौर के अलावा मध्य प्रदेश की सात अन्य सीटों के लिए भी मतदान होंगे।