महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता व विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजय वडेट्टीवार के हेमंत करकरे (Hemant Karkare) पर दिए गए बयान से खड़ा हुआ सियासी विवाद शांत होता नजर नही आ रहा है।
वड़े़ट्टीवार के बयान से कांग्रेस (Congress) बुरी तरह फंस गई तो पार्टी ने बयान से अपने को अलग कर लिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए उद्धव सेना भी करकरे को शहीद बता रही है। लेकिन भाजपा (BJP) ने इसे मुद्दा बना दिया जो कांग्रेस के लिए भारी पड़ रहा है।
महाराष्ट्र में लोकसभा की चुनावी रैली हो या फिर सभा हर जगह शहीद हेमंत करकरे की गूंज सुनाई दे रही है। भाजपा जोर शोर से इस मुद्दे जनता के बीच में रख रही है।
दो दिन पहले वडेट्टीवार ने उत्तर-मध्य मुंबई लोकसभा सीट पर प्रचार करते हुए भाजपा उम्मीदवार वकील उज्ज्वल निकम पर निशाना साधते हुए कहा कि मुंबई के आतंकी हमले में एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की गोली से नहीं मारे गए थे। वह आरएसएस (RSS) से संबंध रखने वाले एक पुलिस अधिकारी की गोली से मारे गए थे।
बयान पर बढ़ते विवाद के वडेट्टीवार ने अपनी सफाई में कहा कि ये उनके शब्द नहीं थे, बल्कि उन्होंने वही कहा था, जो महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक और एनसीपी पार्टी के नेता हसन मुश्रीफ के भाई एस.एम. मुश्रीफ की किताब हू किल्ड करकरे में लिखा था।
वडेट्टीवार के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता एवं उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि हेमंत करकरे को अजमल कसाब ने नहीं मारा था, ये बोलकर वडेट्टीवार पाकिस्तान की बोली बोल रहे हैं। पूरा देश उज्ज्वल निकम के साथ है, लेकिन कांग्रेस सिर्फ आतंकवाद के साथ है।
उन्होंने वडेट्टीवार के बयान पर उद्धव ठाकरे की चुप्पी पर सवाल उठाया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि कांग्रेस नेता ने उस व्यक्ति का अपमान किया है, जो राष्ट्र की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। देश के नागरिक इस अपमान को नहीं भूलेंगे और इसका जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे होते, तो उन्होंने इस तरह के बयान की कड़ी निंदा की होती।
इस मामले पर कांग्रेस से सफाई देते नहीं बन रही है इसीलिए पार्टी ने बयान से किनारा कर लिया।
पार्टी प्रभारी एस. चेन्निथला ने बयान से अलग करते हुए कहा कि वह उनका निजी बयान है। उससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि हेमंत करकरे शहीद हैं और वह देश के लिए शहीद हुए थे। कसाब की गोली करकरे को लगी या नहीं, हमारा काम यह जानना नहीं है। करकरे बैटलफील्ड पर थे। मुंबई में हुए आतंकी हमले में करकरे शहीद हो गए। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि करकरे की शहादत रहस्यमय है। मैं यह नहीं मानता।
आपको मालूम है कि अशोक कामटे, तुकाराम भोमाले समेत कई अन्य लोग भी शहीद हुए थे। वह देश के दुश्मनों के खिलाफ एक बहुत बड़ा युद्ध था। उन्होंने कहा कि उस वक्त आरएसएस और करकरे का झगड़ा चल रहा था, एक संघर्ष चल रहा था, इसलिए इस तरह की बातें आती हैं, यह मेरी व्यक्तिगत राय है।