कांग्रेस ने 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए मंगलवार को 17 उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें आंध्र प्रदेश के कडप्पा क्षेत्र से वाई एस शर्मिला रेड्डी और बिहार के कटिहार सीट से तारिक अनवर का नाम शामिल है। उम्मीदवारों की ताजा सूची के साथ ही कांग्रेस ने अब तक 231 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी 1951-52 के बाद हुए आम चुनावों की तुलना में इस बार सबसे कम संख्या में अपने उम्मीदवार उतार रही है।
कांग्रेस 2024 के आम चुनावों के लिए तकरीबन 320 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है और यह फैसला लक्षित सीटों की पहचान कर उसके लिए ही जोर-शोर से आजमाइश करने की रणनीति के तहत किया गया है। पार्टी ने कुल सीटों में से एक-तिहाई लक्षित सीटों की पहचान की है जिस पर यह चुनाव लड़ना चाहती है।
पार्टी के सामने संसाधनों की कमी है और कई पार्टी नेता आत्मविश्वास कम होने के कारण चुनावी मैदान में उतरने को लेकर संकोच कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस वास्तव में इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के अपने सहयोगियों के मांग के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए अधिक सहज है और इसी वजह से इसने आम चुनावों के लिए अब तक के मुकाबले सबसे कम लोक सभा उम्मीदवार उतारे हैं।
वर्ष 2019 में कांग्रेस ने 421 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और वर्ष 2014 में इसने 464 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 436 सीटों पर और 2014 में 428 सीटों पर चुनाव लड़ी थी ।
अगर कांग्रेस पहले की तुलना में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा अब तक सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। भाजपा ने 414 लोक सभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है और यह 2019 की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
कांग्रेस को पंजाब और हरियाणा जैसे महत्त्वपूर्ण राज्यों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करनी है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के अमेठी और रायबरेली जैसी अहम सीटों के लिए भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है जो सीटें दशकों से नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों के खाते में रही हैं।
पार्टी दिल्ली में अपने तीन उम्मीदवारों की घोषणा करने के लिए तैयार है जहां इसका गठबंधन आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठजोड़ है। इसके अलावा पार्टी बिहार और गुजरात के साथ-साथ आंध्र प्रदेश और ओडिशा में आधा दर्जन सीटें देने के लिए तैयार हैं। रायबरेली की लोक सभा सांसद सोनिया गांधी अब राज्य सभा सदस्य हैं जबकि यह स्पष्ट नहीं है कि 2019 में अमेठी से चुनाव हारने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस सीट से दोबारा चुनाव लड़ेंगे या नहीं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन के तहत 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस को अभी मथुरा और प्रयागराज की सीटों के लिए भी उम्मीदवारों की घोषणा करनी है।
वर्ष 2024 की लोक सभा सीटों के लिए कांग्रेस ने उन राज्यों में सीट-साझेदारी व्यवस्था के माध्यम से दांव आजमाया है जहां इसने ऐसा नहीं किया था। मसलन इसने मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट से चुनाव लड़ने की सपा की मांग स्वीकार कर ली है। हरियाणा में आप कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ रही है। गुजरात में आम आदमी पार्टी भरूच और भावनगर से चुनाव लड़ रही है।
राजस्थान में कांग्रेस ने अपने 22 उम्मीदवारों की घोषणा की है लेकिन इसे उपयुक्त उम्मीदवार खोजने के लिए काफी जूझना पड़ा क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता जैसे कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और राज्य में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसारा लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए अनिच्छुक हैं। अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जालौर से चुनाव लड़ रहे हैं।
राजस्थान की राजसमंद सीट से पार्टी ने पूर्व विधायक सुदर्शन सिंह रावत की घोषणा की जो शुरुआत में किसी के संपर्क में नहीं थे और बाद में उन्होंने घोषणा कर दी कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस ने अपने भीलवाड़ा उम्मीदवार दामोदर गुर्जर को राजसमंद से चुनाव लड़ाने का फैसला किया और इसने अपने वरिष्ठ नेता सी पी जोशी को भीलवाड़ा से चुनाव लड़ने का आग्रह किया।
कांग्रेस ने दिसंबर 2023 में विधान सभा चुनावों के दौरान छोटे दलों के साथ किसी भी तरह की सीट साझेदारी समझौता करने से मना कर दिया था लेकिन इसने लोक सभा चुनावों के लिए इनका समर्थन करने का फैसला किया है। माकपा सीट की सीट से अपने उम्मीदवार उतारेगी जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल नागौर सीट से चुनाव लड़ेंगे।
बाड़मेर से कांग्रेस ने उम्मेदा राम को चुनावी मैदान में उतारा है जिन्होंने बेनीवाल की पार्टी आरएलपी छोड़ दी थी। अब वह कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। पार्टी के आदिवासी चेहरा रहे और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने जब कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल होने का फैसला किया तब पार्टी को बंसवारा-डुंगरपुर सीट पर उम्मीदवार उतारने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
सूत्रों का कहना है कि यह इस सीट पर भारत आदिवासी पार्टी का समर्थन कर सकती है। कर्नाटक में पार्टी के आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार राज्य मंत्रियों के बेटे, बेटी या दामाद या जीवनसाथी हैं।