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Himachal Pradesh: राजनीति की दिशा तय करेगा सेब

Himachal Pradesh Apple Farming: हिमाचल प्रदेश में लगभग 3 लाख परिवार सेब से सीधे रोजगार पाते हैं। इसलिए राजनीतिक रूप से यह काफी नाजुक मसला है।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- May 31, 2024 | 10:13 PM IST

हिमाचल प्रदेश के सौंदर्य का पर्याय बन चुके सेब के बागों ने यहां की अर्थव्यवस्था को बदलकर रख दिया। प्रदेश के1,15,680 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती होती है। शिमला और मंडी में सबसे ज्यादा सेब के बाग हैं। लगभग 3 लाख परिवार इससे सीधे रोजगार पाते हैं। इसलिए राजनीतिक रूप से यह काफी नाजुक मसला है।

बीते 23 मई को हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने एक संयुक्त बयान में दावा किया कि पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेब पर आयात कर तीन गुना करने की बात कही थी, लेकिन इसके उलट केंद्र की सरकार ने इसे घटाकर 50 फीसदी कर दिया। इससे राज्य के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

दूसरी ओर, भाजपा इसका खंडन कर रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘जब अमेरिका ने भारतीय सेब पर कुछ प्रतिबंध लगाए तो बदले में भारत ने भी सेब समेत कुछ कृषि उत्पादों पर कर लगा दिए। बातचीत के बाद अब दोनों देश अपने अपने फैसले से पीछे हटने को राजी हुए हैं।’

कांग्रेस सेब की खेती में भी अदाणी का पेंच ढूंढ़ लाई है। सिरमौर जिले के नाहन में पिछले दिनों एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सेब की कीमतों पर नियंत्रण के लिए मोदी सरकार ने राज्य की भंडारण इकाइयां एक ही व्यक्ति को सौंप दी हैं।

उन्होंने कहा, ‘मोदी और अदाणी के बीच साझेदारी के चलते हिमाचल के सेब उत्पादकों को अपनी उपज की पर्याप्त कीमत नहीं मिल रही है।’ इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए राज्य में तीन कोल्ड स्टोरेज चलाने वाली अदाणी एग्री फ्रैश लिमिटेड को ईमेल भेजा गया था, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। मार्च-अप्रैल में ठंड नहीं पड़ी, जिससे फूल सूख गए और फल नहीं बन पाए अब किसानों को नुकसान डर है।

First Published : May 31, 2024 | 10:10 PM IST