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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मानना है कि चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस लोक सभा चुनाव में काले धन का प्रभाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि संसद को इसके विकल्प पर फैसला लेना होगा।
शाह ने कहा कि यदि काले धन का प्रभाव बढ़ता है तो विकल्प तलाशा जाना चाहिए। उन्होंने शनिवार को एक साक्षात्कार में कहा कि दानदाताओं को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से बॉन्ड खरीदकर बिना पहचान जाहिर किए राजनीतिक दलों को चंदा देने की अनुमति देने वाली योजना को महत्त्वपूर्ण समय में रद्द किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने लोक सभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से एक महीने पहले फरवरी में योजना को निरस्त कर दिया था। इस मुद्दे पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘मेरा मानना है और मेरा अनुमान है कि इससे चुनाव और राजनीति में काले धन का प्रभाव बढ़ेगा। जब राजनीतिक दल इस वित्तीय वर्ष का हिसाब-किताब जमा करेंगे तो पता चल जाएगा कि कितना पैसा नकद चंदा है और कितना चेक से दिया गया है। बॉन्ड योजना के समय चेक से दान का आंकड़ा 96 प्रतिशत तक पहुंच गया था।’
उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को निरस्त करते हुए कहा था कि यह सूचना के अधिकार और संविधान के तहत बोलने एवं अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करती है।
शीर्ष अदालत ने चंदा देने वाले सभी लोगों और राशि पाने वाले सभी दलों के नाम भी सार्वजनिक करने को कहा था। हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा है कि योजना का उद्देश्य राजनीति में काले धन के प्रभाव को कम करना था।