अर्थव्यवस्था

WPI: थोक महंगाई 16 माह के उच्च स्तर पर, अर्थशास्त्री ने बताया कब तक महंगी रहेंगी सब्जियां

जून महीने में ईंधन और बिजली (1.03 प्रतिशत) की कीमत कम हुई है, जिसमें हाई स्पीड डीजल (-1.78 प्रतिशत) की कीमत में कमी अहम है। पेट्रोल की कीमत भी (-1.35 प्रतिशत) कम हुई है।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- July 15, 2024 | 10:17 PM IST

भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर लगातार चौथे महीने बढ़ी है। जून में यह बढ़कर 16 महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मई में 2.61 प्रतिशत थी। मुख्य रूप से विपरीत आधार के असर और खाद्य वस्तुओं की कीमत में तेज वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.87 प्रतिशत बढ़ी है। जून 2023 में थोक महंगाई दर -4.18 प्रतिशत थी।

खाद्य वस्तुओं में प्याज (93.35 प्रतिशत), आलू (66.37 प्रतिशत), सब्जियों (38.35 प्रतिशत), मोटे अनाज (9.27 प्रतिशत), फलों (10.14 प्रतिशत) और गेहूं (6.25 प्रतिशत) की कीमतों में तेजी ने थोक महंगाई पर असर डाला है।

हालांकि इस दौरान दालों (21.64 प्रतिशत) की कीमत में तेजी कम हुई है, लेकिन फिर भी कीमतें बढ़ी हुई बनी हैं।

वहीं दूसरी ओर प्रोटीन वाले खाद्यों जैसे अंडे और मांस (-3.06 प्रतिशत) और दूध (3.37 प्रतिशत) ने इस महीने में कुछ राहत दी है।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि कम आधार के असर के साथ खाद्य वस्तुओं की कीमत में तेजी के कारण महंगाई बढ़ी है।

उन्होंने कहा, ‘सब्जियों की कीमत पर लू का असर पड़ा है और अगस्त में नई फसल आने तक यह स्थिति बनी रहेगी। मोटे अनाज और दलहन की महंगाई भी खरीफ की फसल की कटाई शुरू होने तक बनी रहेगी। विनिर्मित खाद्य उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी संभव है, क्योंकि इनपुट की लागत बढ़ी है।’

सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों का अधिभार 64.2 प्रतिशत होता है। इसकी महंगाई जून में तेजी से बढ़कर 1.43 प्रतिशत हो गई है, जो मई में 0.78 प्रतिशत थी। विनिर्मित खाद्य उत्पाद (4.28 प्रतिशत), विनिर्मित बेवरिज (2.97 प्रतिशत), लकड़ी के सामान (3.17 प्रतिशत) रबर (1.37 प्रतिशत) और बेसिक मेटल (1.06 प्रतिशत) की इसमें प्रमुख भूमिका रही।

जून महीने में ईंधन और बिजली (1.03 प्रतिशत) की कीमत कम हुई है, जिसमें हाई स्पीड डीजल (-1.78 प्रतिशत) की कीमत में कमी अहम है। पेट्रोल की कीमत भी (-1.35 प्रतिशत) कम हुई है।

केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि आपूर्ति में कमी के कारण ब्रेंट की कीमतें पिछले एक महीने में बढ़ी हैं।

First Published : July 15, 2024 | 10:17 PM IST