प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
Supplementary Grants: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सोमवार को संसद से वित्त वर्ष 2024-25 लिए सप्लीमेंट्री डिमांड फॉर ग्रांट्स (Supplementary Demands for Grants) के जरिए 6,78,508.10 करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च की मंजूरी मांगी। इसमें 52 ग्रांट और तीन विनियोग (Appropriation) शामिल हैं। इसमें से नकद खर्च (Net Cash Outgo) 51,462.86 करोड़ रुपए है, जबकि बाकी पैसे अलग-अलग मंत्रालयों में हुई बचत और दूसरे माध्यम से समायोजित की जा रही है। इसके अलावा, सरकार ने 67 लाख रुपए की एक टोकन मनी का प्रस्ताव रखा है ताकि बचत को नए सेवाओं या पहलों के लिए रिलोकेट किया जा सके।
सबसे बड़े आवंटन में डिफेंस पेंशन के लिए 8,476 करोड़ रुपए, कम्यूनिकेशन के लिए 10,910.71 करोड़ रुपए, वित्त के लिए 13,449 करोड़ रुपए और कृषि योजनाओं के लिए 6,044.76 करोड़ रुपए शामिल हैं। इसके साथ ही, पीएम-किसान के लिए 2,185.63 करोड़ रुपए और उसी योजना के तहत अन्य दूसरी सहायता के लिए 1,604.50 करोड़ रुपए अलग से रखे गए हैं।
कृषि अनुसंधान के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को अतिरिक्त पेंशन के लिए 130 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग को भी रूस की कंपनी टीवीईएल (TVEL) से ईंधन खरीदने के लिए 301.49 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, ताकि परमाणु ऊर्जा का उत्पादन सुनिश्चित की जा सके।
सप्लीमेंट्री ग्रांट्स वह धनराशि है जो सरकार के खर्च को पूरा करने के लिए जरूरी होती हैं, जब शुरू में मिला पैसा कम हो जाता है। अगर संसद द्वारा स्वीकृत पैसा पर्याप्त न हों, तो सप्लीमेंट्री ग्रांट की मांग संसद में पेश किया जाता है। इस विषय पर संसद में चर्चा होती है और वित्त वर्ष खत्म होने से पहले संसद द्वारा इसे पारित किया जाता है।
जब मंत्रालय सरकार द्वारा दिए गए पैसे से अधिक खर्च कर देता है तो तो वित्त मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय सरकार से अतिरिक्त अनुदान की मांग करता है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ऐसे अतिरिक्त खर्चों के बारे में संसद को बताते हैं। लोक लेखा समिति इन अतिरिक्त खर्चों की समीक्षा करती है और फिर संसद को सिफारिशें देती है। अतिरिक्त पैसे की मांग पहले से आवंटित पैसे के खर्च होने के बाद प्रस्तुत की जाती है और यह उस वित्तीय वर्ष के बाद संसद में पेश की जाती है जिसमें खर्च हुआ था।
पिछले साल, सरकार ने FY24 के लिए 2 ट्रिलियन रुपए के अतिरिक्त खर्च की मांग की थी, जिसमें शुद्ध नकद खर्च 78,673 करोड़ रुपए था। यह काफी हद तक अलग-अलग मंत्रालयों में 1.21 ट्रिलियन रुपए की बचत से लिया गया था। उससे पिछले साल, केंद्र ने शुद्ध नकद खर्च को 1.48 ट्रिलियन रुपए पर निर्धारित किया था।
2024-25 के अंतरिम बजट में कुल सरकारी खर्च को 44.90 ट्रिलियन रुपए तय किया गया था, जो 2022-23 की तुलना में 7.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी। दूसरे पार्ट में बड़े अनुदानों में रूप में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के लिए 10,798 करोड़ रुपए, खाद्य सब्सिडी के लिए 9,231 करोड़ रुपए और उर्वरक सब्सिडी के लिए 3,000 करोड़ रुपए शामिल हैं।