अर्थव्यवस्था

IT और BFSI क्षेत्रों में वेतन वृद्धि में कमी, उपभोक्ता मांग सुस्त

जिन कंपनियों के वेतन खर्च में सबसे अधिक नरमी दर्ज की गई उनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक जैसी आईटी सॉफ्टवेयर निर्यातक शामिल हैं।

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कृष्ण कांत   
Last Updated- November 27, 2024 | 10:28 PM IST

हालिया तिमाहियों के दौरान उपभोक्ता मांग में नरमी दर्ज की गई है। इसकी एक मुख्य वजह भारतीय कॉरपोरेट जगत में कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की सुस्त रफ्तार हो सकती है। सूचीबद्ध कंपनियों के वेतन खर्च में वृद्धि की रफ्तार घटकर एक अंक में आ गई है जबकि पिछले वित्त वर्ष तक उसमें दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई थी। ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो उपभोक्ता वस्तु कंपनियों की शुद्ध बिक्री में वृद्धि आम तौर पर सूचीबद्ध कंपनियों के वेतन खर्च में वृद्धि के अनुरूप रही है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 3,515 सूचीबद्ध कंपनियों के कुल वेतन खर्च में सितंबर 2024 तिमाही के दौरान 7.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यह एक साल पहले की समान अवधि में 14.2 फीसदी वृद्धि के मुकाबले काफी कम है। मगर यह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान हुए वेतन खर्च में 7.2 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले बेहतर है।

भारतीय कॉरपोरेट जगत के वेतन खर्च में लगातार तीन तिमाहियों के दौरान एकल अंक में बढ़त हुई है। इसके मुकाबले जून 2021 से दिसंबर 2023 तिमाही के बीच लगातार 11 तिमाहियों के दौरान भारतीय कॉरपोरेट जगत के वेतन खर्च में दो अंकों में वृद्धि हुई। सूचीबद्ध कंपनियों का कुल वेतन खर्च वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 3.96 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा एक साल पहले की समान अवधि में 3.68 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 3.88 लाख करोड़ रुपये रहा था।

जिन कंपनियों के वेतन खर्च में सबसे अधिक नरमी दर्ज की गई उनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक जैसी आईटी सॉफ्टवेयर निर्यातक शामिल हैं। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के दौरान सूचीबद्ध आईटी कंपनियों के कर्मचारी खर्च में 4.9 फीसदी की वृद्धि हुई जो एक साल पहले की समान तिमाही में हुई 9.5 फीसदी की वृद्धि से काफी कम है। सूचीबद्ध कंपनियों के बीच आईटी क्षेत्र सबसे बड़ा नियोक्ता है और सभी सूचीबद्ध कंपनियों के वेतन खर्च उसकी हिस्सेदारी करीब 29 फीसदी है।

बैंकिंग, फाइनैंस एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र की कंपनियों ने भी कर्मचारी खर्च में लगातार सात तिमाहियों तक दो अंकों में वृद्धि दर्ज करने के बाद नरमी दर्ज की है। बीएफएसआई क्षेत्र की सूचीबद्ध कंपनियों के एकीकृत वेतन खर्च में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 8.1 फीसदी की वृद्धि हुई। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 27.3 फीसदी रहा था। आईटी और बीएफएसआई क्षेत्र भारतीय कॉरपोरेट जगत में दो सबसे बड़े नियोक्ता हैं। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सभी सूचीबद्ध कंपनियों के कुल वेतन खर्च में इन दोनों क्षेत्रों का योगदान 51.3 फीसदी रहा। (शेष पृष्ठ 3 पर)

भारतीय कॉरपोरेट जगत के कर्मचारी खर्च में नरमी उपभोक्ता वस्तु कंपनियों की आय वृद्धि में सुस्ती से मेल खाती है। उदाहरण के लिए, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, नेस्ले, कोलगेट-पामोलिव और ब्रिटानिया जैसी सूचीबद्ध एफएमसीजी कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के दौरान महज 6.6 फीसदी की वृद्धि हुई। लगातार छह तिमाहियों से उसमें एकल अंक में वृद्धि दिख रही है। हालांकि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में दर्ज 5.3 फीसदी और वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 5.1 फीसदी वृद्धि के मुकाबले अधिक है।

नीलसनआईक्यू के 2024 की तीसरी तिमाही के एफएमसीजी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर तिमाही के दौरान मूल्य वृद्धि के लिहाज से एफएमसीजी कंपनियों की रफ्तार सुस्त रही जबकि मात्रात्मक बिक्री में गिरावट दर्ज की गई।

मांग में सबसे अधिक नरमी वाहन क्षेत्र में दिखी। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सूचीबद्ध वाहन कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले महज 2 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में इसमें 23.7 फीसदी की शानदार वृद्धि हुई थी। यह पिछली दस तिमाहियों की सबसे सुस्त रफ्तार है। इसी प्रकार हैवेल्स, वोल्टास, बजाज इलेक्ट्रिकल्स, एवेन्यू सुपरमार्ट और ट्रेंट जैसी कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 16.8 फीसदी की वृद्धि हुई। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 12 फीसदी और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 21.4 फीसदी रहा था।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘उपभोक्ता खर्च में नरमी की एक वजह कर्मचारी खर्च में वृद्धि की सुस्त रफ्तार भी है। कंपनियों द्वारा वेतन वृद्धि एवं नियुक्तियों में कटौती किए जाने से आय वृद्धि को झटका लगता है जिससे उपभोक्ता खर्च प्रभावित होता है।’ उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में खुदरा महंगाई बढ़ने से भी उपभोक्ता खर्च को झटका लगा है।

वेतन वृद्धि में नरमी का असर शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक दिखता है। सिस्टेमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख (अनुसंधान एवं इक्विटी रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों में अधिकतर उपभोक्ता वस्तु कंपनियों ने शहरी क्षेत्रों में कमजोर मांग का मुद्दा उठाया था। उसकी एक वजह कॉरपोरेट वेतन वृद्धि में नरमी हो सकती है।’ उनके अनुसार, कॉरपोरेट आय एवं लाभ वृद्धि में नरमी के मद्देनजर कमजोर उपभोक्ता मांग कुछ तिमाहियों तक बरकरार रह सकती है।

First Published : November 27, 2024 | 10:14 PM IST