G20 नेताओं के बुधवार के वर्चुअल शिखर सम्मेलन (G20 virtual summit) में विकास मुख्य मुद्दा होगा। जी20 के शेरपा अभिताभ कांत ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि महत्त्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों को लेकर सहयोग बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श होगा।
कांत ने संवाददाताओं को बताया, ‘नई दिल्ली में नेताओं की घोषणा को सर्वसम्मति से मंजूर किए जाने के बाद विश्व ने कई घटनाओं को देखा है और कई नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।’
उन्होंने कहा कि वर्चुअल शिखर सम्मेलन नेताओं को न केवल नई दिल्ली में हुई घोषणा के प्रभाव पर विचार-विमर्श करने का अवसर देगी बल्कि वैश्विक व्यवस्था में आए तनाव पर भी चर्चा होगी। शिखर सम्मेलन चिरस्थायी विकास के उद्देश्यों की प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा व बहुपक्षीय प्रणाली की ओर बढ़ेगा। इससे लोगों के जीवन पर कहीं अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
जी20 के शेरपा ने बताया कि अभी तक किसी अन्य की अध्यक्षता में नेताओं की व्यक्तिगत रूप से बैठक करने के बाद वर्चुअल बैठक नहीं हुई है। लिहाजा यह विलक्षण व असाधारण है। भारत को वर्चुअल शिखर सम्मेलन में नेताओं की भागीदारी ‘शानदार’ होने की उम्मीद है। इसमें जी20 के सभी नेताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है।
आर्थिक मामलों विभाग के सचिव अजय सेठ ने कहा, ‘नेतागण एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे और फिर रास्ता भी सुझाएंगे। ऐसे में जब भारत अपनी अध्यक्षता दूसरे देश को देगा तो एजेंडा मजबूत रूप से आगे बढ़ेगा। इससे विकासशील देशों को खासा लाभ मिलेगा।’
इजरायल हमास संघर्ष के बारे में चर्चा होने पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि विकास, प्राथमिकताओं और आर्थिक विकास प्रभावित होने पर जिस सीमा तक विश्व में होने वाली किसी घटना का असर पड़ता है, उतनी चर्चा हो सकती है। हालांकि उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि कल होने वाले वैश्विक शिखर सम्मेलन में नेताओं के मुद्दे उठाए जाने पर पूर्वग्रह बनाया जाना वास्तविक रूप से सही होगा।’
प्रगति के बारे में ठोस परिणाम आने के बारे में कांत ने कहा कि जी20 वैश्विक स्तर पर 2030 तक अक्षय ऊर्जा की क्षमता को तीन गुना बढ़ाने पर एकमत हो गया है। वर्ष 2030 तक ऊर्जा दक्षता में सुधार की दर को दोगुना करना सीओपी 28 का प्रमुख परिणाम होने की उम्मीद है।
कांत ने कहा, ‘हमने हरित विकास पर जो फैसला किया था, वह सीओपी 28 के परिणामों को दिशा देने वाला होगा।’ उन्होंने कहा कि भारत की पैरवी के कारण डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल 4.45 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता को प्राप्त करने में सक्षम हुई है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए रूपरेखा का निर्माण भी शुरू किया है।