अर्थव्यवस्था

Trump Tariffs: 3% तक घट सकता है ग्लोबल ट्रेड! UN के अर्थशास्त्री का दावा- भारत-ब्राजील जैसे देशों के लिए बड़ा मौका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने पिछले हफ्ते बड़े पैमाने पर टैरिफ योजना की घोषणा की थी।

Published by
बीएस वेब टीम   
Last Updated- April 12, 2025 | 11:30 AM IST

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अर्थशास्त्री पामेला कोक-हैमिल्टन ने चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार में 3 प्रतिशत की कमी आ सकती है। इसके साथ ही निर्यात के पैटर्न में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जिसमें अमेरिका और चीन जैसे बाजारों से व्यापार कम होकर भारत, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों की ओर बढ़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी) की कार्यकारी निदेशक पामेला कोक-हैमिल्टन ने शुक्रवार को जिनेवा में ये बातें कहीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने पिछले हफ्ते बड़े पैमाने पर टैरिफ योजना की घोषणा की थी। हालांकि बाद में व्हाइट हाउस ने कहा कि ज्यादातर देशों के लिए 90 दिनों तक जवाबी टैरिफ पर रोक रहेगी, लेकिन चीन ने अमेरिकी आयात पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला किया। कोक-हैमिल्टन ने बताया कि इन टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार में लंबे समय तक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, मैक्सिको का निर्यात, जो पहले अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे बाजारों पर निर्भर था, अब कनाडा, ब्राजील और कुछ हद तक भारत की ओर बढ़ रहा है। इन देशों के पास बड़ा मौका है। इसी तरह, वियतनाम का निर्यात भी अमेरिका और चीन से हटकर मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और कोरिया जैसे बाजारों की ओर जा रहा है।

विकासशील देशों के लिए चुनौती और अवसर

कोक-हैमिल्टन ने कपड़ा उद्योग का उदाहरण देते हुए बताया कि यह उद्योग विकासशील देशों के लिए आर्थिक गतिविधि और रोजगार का बड़ा स्रोत है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है, को 37 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ झेलना पड़ सकता है। अगर यह टैरिफ लागू हुआ तो 2029 तक बांग्लादेश को अमेरिका में 3.3 अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि विकासशील देशों को ऐसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए विविधीकरण, मूल्यवर्धन और क्षेत्रीय एकीकरण पर ध्यान देना चाहिए। इससे न सिर्फ संकट से बचा जा सकता है, बल्कि भविष्य के लिए मजबूत आधार भी तैयार किया जा सकता है।

इसके अलावा, फ्रांस के अर्थशास्त्र अनुसंधान संस्थान CEPII के साथ मिलकर किए गए शुरुआती अनुमानों के अनुसार, 2040 तक इन टैरिफ और जवाबी कदमों से वैश्विक जीडीपी में 0.7 प्रतिशत की कमी आ सकती है। मैक्सिको, चीन, थाईलैंड और दक्षिणी अफ्रीका जैसे देशों के साथ-साथ अमेरिका को भी इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

चीन के 125 प्रतिशत टैरिफ के फैसले पर एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की उपाध्यक्ष वेंडी कटलर ने कहा कि चीन इस व्यापार युद्ध में पीछे हटने वाला नहीं है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच टैरिफ—अमेरिका में चीनी आयात पर 145 प्रतिशत और अमेरिकी आयात पर चीन में 125 प्रतिशत—के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग ठप हो सकता है। वहीं, विशेषज्ञ डैनियल रसेल ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग न तो झुक रहे हैं और न ही स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं। वे मानते हैं कि ट्रम्प की टैरिफ नीति अमेरिकी बाजार के दबाव में खुद ही कमजोर पड़ जाएगी।

चीन अब समान जवाबी टैरिफ से हटकर लंबी रणनीति पर काम कर रहा है। उसका लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाना और अमेरिकी सहयोगियों पर दबाव बनाना है। रसेल ने बताया कि शी जिनपिंग का दक्षिण-पूर्व एशिया दौरा इस रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद क्षेत्र में चीन के आर्थिक रिश्तों को मजबूत करना है।

First Published : April 12, 2025 | 11:30 AM IST