नोमुरा की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा भूराजनीतिक संकट से एशियाई अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी, लेकिन इसका प्रभाव लगभग सभी क्षेत्रों पर देखा जाएगा। उनका मानना है कि एशिया पर नकारात्मक प्रभाव दिखेगा, क्योंकि कई देश शुद्घ तेल आयातक हैं, और खाद्य एवं ऊर्जा का खपत खर्च में उनका करीब 50 प्रतिशत योगदान है।
भले ही प्रभाव अलग अलग तरह से महसूस किया जाएगा- जैसे सख्त वैश्विक वित्तीय स्थिति, ऊंचे अनिश्चितता और कमजोर वैश्विक मांग का जोखिम, लेकिन ऊंची जिंस कीमतें, खासकर तेल बेहद महत्वपूर्ण ट्रांसमिशन माध्यम हैं।
नोमुरा के विश्लेषकों ने लिखा है, ‘तेल एवं खाद्य कीमतों में लगातार तेजी का एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी है, मौद्रिक खाता और वित्तीय बैलेंस में कमजोरी आई है और आर्थिक वृद्घि पर दबाव पड़ा है। ऐसे परिवेश में भारत, थाइलैंड और फिलीपींस को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, जबकि इंडोनेशिया को फायदा होगा।’
भारत के लिए, कच्चे तेल कीमतों में हरेक 10 प्रतिशत की वृद्घि जीडीपी वृद्घि से करीब 0.2 प्रतिशत अंक की कमी को बढ़ावा देगी। उनका मानना है कि इससे वृद्घि को लेकर अनिश्चितताएं बढ़ सकती हैं, क्योंकि देश असमान रिकवरी की राह पर है और उसे ऊंचे सार्वजनिक पूंजीगत खर्च, सेवाओं को सामान्य बनाने जैसे अल्पावधि चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मुद्रास्फीति अनुमान भी तेल कीमतों के अनुरूप बढ़े हैं और कच्चे तेल में 10 प्रतिशत की वृद्घि मुख्य मुद्रास्फीति में 0.3-0.4 प्रतिशत अंक से जुड़ी हुई है। एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार, यदि तेल कीमतों औसत तौर पर 90 डॉलर प्रति बैरल पर आती हैं और 100-130 आधार अंक बढ़ती हैं, तो वित्त वर्ष 2023 के लिए आरबीआई का मुद्रास्फीति अनुमान 90-100 आधार अंक बढ़कर 4.5 प्रतिशत पर पहुंचने की आशंका है।
गुरुवार को, कच्चे तेल की कीमतें चढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई थीं, जो 2014 से पहली बार इस स्तर पर पर आई हैं। इस बीच भारतीय सरकार ने वाहन ईंधन कीमतों को पांच प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए नवंबर से अपरिवर्तित रखा है। नोमुरा के विश्लेषकों को राज्य चुनावों के बाद पेट्रोल और डीजल कीमतों में करीब 10 प्रतिशत की तेजी और एलपीजी कीमतों में बड़ी वृद्घि का अनुमान है।
इंडोनेशिया को राहत
जहां पूरी दुनिया में कई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर इस टकराव का प्रभाव पडऩे की आशंका है, वहीं नोमुरा को कच्चे तेल का शुद्घ आयातक होने के बावजूद लाभ मिलने की संभावना है। उनका कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत वृद्घि से इंडोनेशिया का चालू खाता घाटा (सीएडी) उस समय की जीडीपी के 0.2 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जब कम सख्त आवाजाही नियंत्रित से इस साल लोगों को अधिक यात्राएं करने की अनुमति दी जा रही है और खुदरा कीमतों से ऊंची ईंधन खपत तथा तेल आयात को भी मदद मिल रही है।