भारत आखिरकार ईरान के चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) के शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल को विकसित करने के लिए समझौता करने में सफल रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य और भू-राजनीतिक बदलावों के कारण इस बंदरगाह से आवाजाही में वृद्धि शुरुआती योजना से सुस्त रह सकती है।
ओमान की खाड़ी में सामुद्रिक व्यापार के हिसाब से भारत ने रणनीतिक कदम रखने का लाभ हासिल किया है। यह बंदरगाह महत्त्वाकांक्षी इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का प्रवेश द्वार है। ईरान के रेगिस्तान के माध्यम से यूरोप के लिए भारत के 7,200 किलोमीटर लंबे वैकल्पिक मार्ग में चाबहार से सभी मौसम में चालू रहने वाली हजारों किलोमीटर राजमार्ग शामिल हैं, जो चाबहार को उत्तर में तेहरान, अजरबैजान और उसके बाद रूस को जोड़ती हैं।
आईएनएसटीसी का पश्चिमी मार्ग वस्तुओं की ढुलाई की औसत अवधि कम कर सकता है। भारत और यूरोप के बीच में यात्रा घटकर 24 दिन हो सकती है, जो स्वेज नहर के रास्ते लगने वाले 40 दिन से काफी कम होगा। इसके लिए पहला परीक्षण 2014 में हुआ था, लेकिन इस मार्ग से पहला जहाज 2021 में भेजी गया।
फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशन इन इंडिया (FFFAI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूस से सटी यूरोप की सीमा पिछले 2 साल से बंद है। इसकी वजह से निकट भविष्य में यह मार्ग रूसी और मध्य एशिया के बाजारों में ही प्रभावी रूप से सेवाएं प्रदान करेगा। भारत ने इस बंदरगाह में वित्तीय व कूटनीतिक दोनों लिहाज से भारी निवेश किया है और इससे लाभ मिलने में कुछ वक्त लग सकता है।
एसोसिएशन के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल से तेल की ढुलाई भी पहले के अनुमान की तुलना में बहुत कम रह सकती है, क्योंकि भारत ने 2018-19 से ईरान से कच्चे तेल का आयात रोक रखा है।’
2018-19 तक ईरान, भारत के कच्चे तेल का तीसरा बड़ा स्रोत था, जब आयात 12.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। परमाणु कार्यक्रमों के मसले पर जून 2019 में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए गए थे।
ईवाई इंडिया में टैक्स ऐंड इकनॉमिक पॉलिसी ग्रुप के पार्टनर रजनीश गुप्ता ने कहा कि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि चाबहार, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के प्रवेश मार्ग के रूप में काम करता है। ऐसे में इससे क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी के अधिकतम संभावित लाभ के लिए यह दीर्घकालिक, रणनीतिक हिसाब से गारंटी देता है।
मध्य एशिया पर ध्यान
बहरहाल विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह मार्ग मध्यावधि और दीर्घावधि के हिसाब से रूस के साथ नियमित कारोबार में लाभ पहुंचा सकता है। इस साल की शुरुआत में भारत ने यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईईयू) ब्लॉक के देशों के साथ व्यापारिक बातचीत शुरू की थी।
ईईयू में पूर्व सोवियत संघ में शामिल रहे राज्य आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान और रूस शामिल हैं, जिनका एकीकृत बाजार है। साल 2015 में बने ईईयू की आबादी 18.3 करोड़ है और इसका सकल घरेलू उत्पाद 2.4 लाख करोड़ डॉलर से अधिक है।