अर्थव्यवस्था

WTO वार्ताओं में सेवाओं के व्यापार पर ध्यान नहीं दिया जाता है: विशेषज्ञ

WTO के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी13) का बुधवार को तीसरा दिन है। एमसी डब्ल्यूटीओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है।

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भाषा   
Last Updated- February 28, 2024 | 12:05 PM IST

सेवाओं के व्यापार की कुल वैश्विक वाणिज्य में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, लेकिन इसपर विश्व व्यापार संगठन (WTO) की वार्ताओं में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विशेषज्ञों और अधिकारियों ने यह बात कही है।

विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि विश्व व्यापार संगठन के विकसित या अमीर सदस्य देश केवल अपने गैर-व्यापार एजेंडा को आगे बढ़ाने में रुचि रखते हैं और उन मुद्दों पर ध्यान नहीं देते हैं, जिनपर पर वास्तव में विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। डब्ल्यूटीओ के 166 सदस्य देशों के व्यापार मंत्री और अधिकारी कृषि और मत्स्य पालन सब्सिडी जैसे व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं।

डब्ल्यूटीओ के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी13) का बुधवार को तीसरा दिन है। एमसी डब्ल्यूटीओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है। एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ कहते हैं, ‘‘डब्ल्यूटीओ में स्वच्छता, व्यापार में तकनीकी अड़चनें और पारस्परिक मान्यता वाले समझौते (एमआरए) जैसे व्यापार से संबंधित पर्याप्त मुद्दे हैं, लेकिन विकसित देश नए मुद्दों को आगे बढ़ाना चाहते हैं।’’

इसी तरह की राय जताते हुए एक अधिकारी ने कहा कि सेवा व्यापार पर इस संदर्भ में कोई चर्चा नहीं हुई है कि इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। कुशल पेशेवरों की आवाजाही भी इसमें आती है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इसपर कोई बातचीत नहीं हुई है।’’ एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि उभरते देशों से अमीर देशों की ओर ‘देखभाल करने वालों’ की आवाजाही जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि भारत जैसे देश अगले 25 साल के लिए जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति में हैं और यूरोपीय संघ के देश इस मामले में पीछे हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘लेकिन वे आव्रजन या आवाजाही नियमों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।’’ आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि कुल विश्व व्यापार में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 20 प्रतिशत से अधिक है। और इसके बावजूद यह गैर-पारदर्शी घरेलू नियमनों में फंसा हुआ है जो सीमापार व्यापार में बाधा डालता है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘डब्ल्यूटीओ की बैठकों में इसपर बहुत कम ध्यान दिया जाता है जिसके चलते विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति नगण्य रहती है। एकमात्र मुद्दा जिसे प्राथमिकता दी जाती है वह ‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन’ पर सीमाशुल्क रोक का विस्तार है क्योंकि यह अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य विकसित देशों के हित में है।

सीमा शुल्क पर रोक एक अस्थायी उपाय है जो देशों को डिजिटल उत्पाद मसलन सॉफ्टवेयर, संगीत और फिल्मों पर आयात शुल्क लगाने से रोकता है। भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देश इसके विस्तार का विरोध करते रहे हैं। वहीं इसे 1998 से हर दो साल में विस्तार दिया जा रहा है।

श्रीवास्तव ने कहा कि एमसी13 में अभी तक जी-90 (90 देशों का समूह जिसमें विकासशील देश शामिल हैं) के विकासशील देशों के लिए सेवाओं पर व्यापार के सामान्य करार (गैट्स) में लचीलेपन और छूट को लेकर प्रस्ताव पर कोई प्रगति नहीं हुई है।

उल्लेखनीय है कि भारत हमेशा से कुशल सेवाप्रदाताओं मसलन आईटी और चिकित्सा पेशेवर, शिक्षकों और लेखाकारों की सुगम सीमापार आवाजाही का पक्षधर रहा है।

First Published : February 28, 2024 | 12:05 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)