देश के 28 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में वस्तु एवं सेवा कर अपीली प्राधिकरण (जीएसटीएटी) की 31 पीठें होंगी। यह जानकारी वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में दी गई है।
अभी कर अधिकारियों के फैसले से असंतुष्ट करदाताओं के लिए कोई भी प्रतिबद्ध न्यायिक फोरम नहीं है और उन्हें संबंधित उच्च न्यायालयों का रुख करना पड़ता है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस वित्त वर्ष में पीठों में नियुक्तियां होंगी। इस प्राधिकरण के संचालन के लिए अन्य प्रक्रियात्मक बदलाव भी किए जाएंगे।
संसद ने जीएसटी परिषद की मंजूरी के बाद वित्त विधेयक में बदलाव कर मार्च में इन प्राधिकरणों के गठन का मार्ग प्रशस्त किया था। इन प्राधिकरणों की स्थापना का लंबे समय से इंतजार था।
मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक बड़े राज्यों जैसे कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कई पीठों का गठन होगा। हालांकि दिल्ली को छोड़कर ज्यादातर केंद्रशासित प्रदेशों के लिए किसी स्वतंत्र पीठ का गठन नहीं हुआ और वे अन्य राज्यों की पीठों से साझा करेंगे। गोवा और महाराष्ट्र में तीन पीठें होंगी।
हालांकि कर्नाटक और राजस्थान में दो पीठें होंगी। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में तीन पीठें होंगी। पश्चिम बंगाल, सिक्किम तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, पुडुचेरी में कुल मिलाकर दो-दो जीएसटीएटी पीठ होंगी, जबकि केरल तथा लक्षद्वीप में एक पीठ होगी।गुजरात तथा केंद्रशासित प्रदेशों दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव में जीएसटीएटी की दो पीठें होंगी।
हालांकि सात पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में एक पीठ होगी। कानून के अनुसार प्राधिकरण की मुख्य शाखा दिल्ली में होगी और इसमें अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य, तकनीकी सदस्य (केंद्र) और तकनीकी सदस्य (राज्य) होंगे। इसमें राज्यों की जनसंख्या के हिसाब से राज्य शाखाएं भी होंगे।
राष्ट्रीय अपीलीय प्राधिकरण मुख्य तौर पर कर विभाग और करदाताओं के बीच ‘आपूर्ति के स्थान’ को लेकर हुए विवाद हल करेगी। हालांकि यह राज्य के अपीलीय प्राधिकरणों के फैसलों के खिलाफ अपीलीय सुनवाई नहीं करेगी। पीठों के गठन से लंबित मामलों को हल करने में मदद मिलेगी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल 30 जून तक केंद्रीय जीएसटी प्राधिकरण में 14,227 मामले लंबित थे। जीएसटी अधिकारियों के कर चोरी रोकने के उपाय के तहत उठाए गए कदमों से चालू वित्त वर्ष में 9,000 से अधिक मामले सामने आए।