भारत से विदेश जाने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की प्रतिबद्धता सितंबर 2024 में 90 करोड़ डॉलर गिरकर 3.72 अरब डॉलर हो गई जबकि यह सितंबर 2023 में 4.63 अरब डॉलर थी। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2024 के 3.35 अरब डॉलर की तुलना में इसमें सितंबर में मामूली वृद्धि हुई।
विदेश भेजे जाने वाले एफडीआई को वित्तीय प्रतिबद्धता के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसके तीन अवयव इक्विटी, ऋण और गारंटी होते हैं।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार जुलाई-सितंबर 2024 की अवधि में विदेश भेजे जाने वाला एफडीआई 5.92 अरब डॉलर था। इसमें इक्विटी निवेश 3.89 अरब डॉलर और ऋण खंड की हिस्सेदारी 2.03 अरब डॉलर थी।
देश-वार आंकड़ों के अनुसार सिंगापुर शीर्ष गंतव्य था। सिंगापुर को 2.39 अरब डॉलर, इसके बाद नीदरलैंड को 64.19 करोड़ और स्विट्जरलैंड को 63.88 करोड़ डॉलर का एफडीआई भेजा गया था। सितंबर 2024 के रुझानों की तुलना में इक्विटी प्रतिबद्धता में इजाफा हुआ।
सितंबर 2024 में इक्विटी प्रतिबद्धता बढ़कर 81.46 करोड़ डॉलर हो गई जबकि एक साल पहले 70.43 करोड़ डॉलर थी। यह अगस्त 2024 में 1.18 अरब डॉलर दर्ज की गई थी। लिहाजा अगस्त 2024 की तुलना में सितंबर 2024 में गिरावट दर्ज हुई। सितंबर 2023 की तुलना में सितंबर 2024 में ऋण प्रतिबद्धताएं दोगुनी से अधिक हुईं। यह सितंबर 2023 में 50.70 करोड़ डॉलर थी और सितंबर 2024 में बढ़कर 1.15 अरब डॉलर हो गई।
सितंबर 2024 में ऋण प्रतिबद्धताएं अगस्त 2024 से भी अधिक थीं। अगस्त 2024 में ऋण प्रतिबद्धताएं 69.28 करोड़ डॉलर थीं। बीते साल के 3.42 अरब डॉलर की तुलना में सितंबर 2024 में विदेशों में गारंटी आधी होकर 1.75 अरब डॉलर हो गईं।