अर्थव्यवस्था

देश में औपचारिक नौकरियों में तेजी से आ गई है गिरावट, EPFO के Payroll data की एनालिसिस से हुआ खुलासा

जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में 107.8 लाख नए सबस्क्राइबर शामिल हुए हैं। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 119.3 लाख था।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- February 22, 2024 | 10:50 PM IST

भारत में औपचारिक नौकरियों के सृजन में तेज गिरावट आई है। बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पेरोल डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि 2023 में इसके पहले के साल की तुलना में करीब 10 फीसदी कम नई औपचारिक नौकरियों का सृजन हुआ है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में 107.8 लाख नए सबस्क्राइबर शामिल हुए हैं। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 119.3 लाख था।

यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि केवल औपचारिक रूप से काम पाने वाले लोगों को ही सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है और उन्हें श्रम कानून से संरक्षण मिलता है। ईपीएफओ द्वारा जारी मासिक पेरोल आंकड़े सरकार द्वारा औपचारिक क्षेत्र में रोजगार पर नजर रखने की कवायद है। 18 से 28 साल की उम्र के नए युवा सबसक्राइबरों की संख्या 2023 में 9.2 प्रतिशत घटकर 72 लाख रह गई है, जो पिछले साल की समान अवधि में 79.3 लाख थी।

युवा सबस्क्राइबरों के आंकड़े इस हिसाब से अहम हैं क्योंकि इस उम्र वर्ग के लोग पहली बार रोजगार में आते हैं और इससे अर्थव्यवस्था में तेजी का पता चलता है।

टीमलीज के मुख्य कार्याधिकारी रमेश अल्लूरी रेड्डी ने कहा कि 2023 में नौकरियों के सृजन में आई गिरावट से पता चलता है कि कोविड महामारी के बाद बाजार तेजी से सुधरा, उसके बाद सुस्ती आई है और भर्तियों में शुरुआती तेजी अस्थायी तेजी दिखाता है।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि दिसंबर 2023 में नौकरियों के बाजार में थोड़ी रिकवरी हुई है और नई औपचारिक नौकरियों का सृजन 3 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन कुल मिलाकर गिरावट बाजार में सुस्ती का संकेत है। इसलिए आर्थिक अनिश्चितता की चुनौतियों से बाहर निकलने और बाजार की मांग में बदलाव के लिए समग्र रणनीति की जरूरत है, जिनमें नवोन्मेष, तेजी से कौशल विकास और नौकरियों के सृजन के लिए माहौल बनाना जरूरी है।’

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि नई महिला सबस्क्राइबरों की संख्या में 11 प्रतिशत कमी आई है और 2023 में संख्या घटकर 28 लाख रह गई है, जो 2022 में 31.4 लाख थी। रोजगार की गुणवत्ता में आई यह गिरावट पिछले 6 साल में सबसे सुस्त बेरोजगारी दर के बीच आई है।

First Published : February 22, 2024 | 10:50 PM IST