उद्योग जगत का मनोबल और कमजोर हुआ

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:01 PM IST

रिजर्व बैंक द्वारा मंगलवार को बढ़ाए गए रेपो रेट और सीआरआर के बाद ब्याज दरों पर पड़ने वाले प्रभावों से आशंकित उद्योग जगत ने कहा है यह पूरे बिजनेस का मनोबल तोड़ने वाला कदम है। इसका देश को मिल रहे निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।


उद्योगतियों की संस्था फिक्की का कहना है कि पिछली तीन तिमाहियों से कारोबार जगत का आत्मविश्वास नीचे की ओर जा रहा है। विनिर्माण क्षेत्र की वृध्दि दर 2007 के 11.3 फीसदी के स्तर से गिरकर 3.9 पर पहुंच गई है। रिजर्व बैंक के इस कदम से यह दर और नीचे जा सकती है।

फिक्की के महासचिव अमित मित्रा ने कहा कि इस तरह के मौद्रिक उपायों का औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वे कहते हैं कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए केंद्रीय बैंक का प्रतिक्रिया जताना बेजा नहीं है। लेकिन इससे पहले उन्हें पहले किए गए मौद्रिक उपायों के अंतिम चरण के मौद्रिक प्रभावों का की प्रतीक्षा की जानी चाहिए थी। इस बारे में सीआईआई का कहना है कि सख्त होते जा रहे मौद्रिक उपायों की स्थिति में विकास की दर को बरकरार रख पाना सबसे बड़ी चुनौती है।

हालांकि पिछले दिनों कराए गए सीआईआई के एक सर्वे में सामने आया था कि निवेश के लिए इंडस्ट्रीयल सेंटीमेंट अभी भी काफी मजबूत हैं। इस बारे में एसौचेम का कहना है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए किए जा रहे मौद्रिक उपायों से विकास की दर धीमी पड़ सकती है। एसौचेम प्रमुख सान जिंदल ने कहा कि धन के प्रवाह को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों से पूरे बिजनेस जगत का आत्मविश्वास ही डगमगा जाएगा और कंपनियां आने वाले समय में अपनी निवेश की योजनाओं को स्थगित करना प्रारंभ कर देंगी।

देश भर के 17,000 उद्यमी संगठनों से जुड़ा भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के मुताबिक विभिन्न टैक्स व कॉरपोरेट घरानों से प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे उद्यमी एवं कारोबारी पहले से ही पिसे पड़े हैं। ऐसे में ब्याज दरों में बढ़ोतरी से उनके मार्जिन में कमी आ जाएगी। मंडल के महासचिव विजय प्रकाश जैन कहते हैं, उद्यमी वैकल्पिक माध्यम की तलाश करेंगे या फिर कम कर्ज लेंगे। और कम कर्ज लेंगे तो उनके कारोबार की मात्रा भी कम हो जाएगी। कुल मिलाकर कहा जाए तो कारोबारियों का विस्तार थम जाएगा।

इसके अलावा विदर्भ इंड्रस्टीज एसोशिएसन के प्रवीन थपाडिया ने  कहा कि इसका एसएमआ सेक्टर पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा जो पहले से ही मार्जिन पर दबाव की समस्या से जूझ रहा है। इस बार एसएमई के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के कदमों के प्रभावों से बच निकलना मुश्किल होगा।

First Published : July 29, 2008 | 10:43 PM IST