वित्त वर्ष 22 में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों की वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष के 3.6 प्रतिशत से ज्यादा है। आज जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान से यह जानकारी मिलती है।
वित्त वर्ष 2022 में मौजूदा भाव पर वृद्धि दर 9.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले साल की समान अवधि के 6.6 प्रतिशत से ज्यादा है। इससे महंगाई दर का असर करीब 9.1 प्रतिशत आता है। कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा वास्तविक आंकड़े न होने के कारण कभी कभी इसे किसानों की आमदनी के रूप में उल्लिखित किया जाता है, जो वित्त वर्ष 21 में 6.6 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 22 में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में जीवीए इस सेक्टर के 3.4 प्रतिशत दीर्घावधि औसत से ज्यादा है और यह ज्यादातर अर्थशास्त्रियों की उम्मीदों से ज्यादा है।
महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 21 के दौरान कृषि क्षेत्र में 3.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि पर विचार करते हुए भी 3.9 प्रतिशत की संभावित वृद्धि इस सेक्टर के लचीलेपन को दिखाती है। राष्ट्रीय आमदनी का पहला अग्रिम अनुमान फसल उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान पर आधारित है, जो प्राथमिक रूप से खरीफ फसलों के उत्पादन को दिखाता है और पूरे साल में उच्च वृद्धि दर का यह भी मतलब है कि सरकार यह उम्मीद करती है कि रबी की फसल भी अच्छी होगी।
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘जीवीए का यह आंकड़ा (3.9 प्रतिशत) हमारी उम्मीदों से थोड़ा अधिक है, क्योंकि हम उम्मीद कर रहे थे कि वित्त वर्ष 22 में वृद्धि करीब 3.5 प्रतिशत रहेगी। इसका यह भी मतलब है कि रबी की फसल उम्मीद से बेहतर रह सकती है। हालांकि कुल कृषि जीवीए में फसल की हिस्सेदारी महज 60 प्रतिशत है, जबकि शेष संबंधित क्षेत्रों की है।’
2021-22 फसल सत्र (जुलाई-जून) के लिए सितंबर 2021 में केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ सीजन में भारत का अनाज उत्पादन रिकॉर्ड 15.05 करोड़ टन हो सकता है। तिलहन का उत्पादन 2.339 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 2.66 प्रतिशत कम है। लेकिन दलहन की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है, क्योंकि खरीफ की दलहल का उत्पादन 94.5 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 8.74 प्रतिशत ज्यादा रहने की संभावना है।
बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि दलहन और तिलहन उत्पादन के शुरुआती अनुमानों से बहुत ज्यादा उम्मीद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आगे के अनुमान में अंतिम फसल का उत्पादन कम हो सकता है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 7 जनवरी तक रबी सत्र में फसलों की बुआई 561.1 लाख हेक्टेयर रही है, जो पिछले साल की तुलना में 5.9 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी तिलहन के रकबे में हुई है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 17 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
आगामी रबी सीजन में सरसों का उत्पादन 100-110 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल के 85 लाख टन से ज्यादा है। व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से इसके बुआई के रकबे में बढ़ोतरी की रिपोर्ट आई है, क्योंकि इस साल तिलहन के खुदरा दाम में बहुत तेज बढ़ोतरी हुई है।