जुलाई से सितंबर तिमाही में भारत 24 अर्थव्यवस्थाओं की एक सूची में सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था रह सकता है। इसका पता विभिन्न एजेंसियों के वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आरंभिक आंकड़ों से चलता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में भारत के जीडीपी के आधिकारिक अनुमान शुक्रवार को जारी करेगा।
बैंक ऑफ अमेरिका ने 7.8 फीसदी संकुचन का पूर्वानुमान जताया है, जबकि नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने 12.7 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया है। इस तरह वास्तविक जीडीपी में गिरावट का औसत 10.3 फीसदी आता है।
ब्रिटेन में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान संकुचन 9.6 फीसदी रहा, जो अब तक आंकड़े जारी करने वाली 24 अर्थव्यवस्थाओं की एक सूची में सबसे अधिक गिरावट है। दूसरी तरफ चीन एकमात्र ऐसी अर्थव्यवस्था है, जिसमें तीसरी तिमाही में 4.9 फीसदी वृद्धि दिखायी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि इस स्वास्थ्य संकट को खत्म करने के बाद सुधार के आर्थिक पुल को मजबूत करना दूसरी सबसे अहम प्राथमिकता है। उन्होंने एक नोट में लिखा, ‘जब तक हम इस स्वास्थ्य संकट से बाहर निकलें, तब तक उद्यमों और कामगारों को सहारा देने आवश्यक है। इससे समय पूर्व पीछे नहीं हटना चाहिए।’
ब्रिटेन के अलावा स्पेन भी बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था है। वह जुलाई-सितंबर तिमाही में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहा है। दक्षिण अमेरिकी उभरती अर्थव्यवस्था मैक्सिको एक अन्य ऐसा देश है, जिसकी स्थिति भी ब्रिटेन, स्पेन और भारत के समान है।
विशेषज्ञों के मुताबिक वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, ई-वे बिल सृजन जैसे जल्दी-जल्दी आने वाले आर्थिक संकेतकों ने उम्मीद से बेहतर सुधार दिखाया है, जिससे भारत की जीडीपी में संभावित गिरावट पर अंकुश लगा है। लेकिन वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर बनी हुई है, जिसमें यूरोप एवं अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण की बार-बार लहरों से और कमी आई है।
इक्रा ने 13 नवंबर को एक नोट में लिखा, ‘कुछ विकसित देशों में नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जाने के कारण चालू महीने में गैर-तेल निर्यात में कमी आ सकती है।’ दुनियाा भर के बाजारों की टीका बनने की अच्छी खबर को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रिया है, लेकिन उनमें उतार-चढ़ाव बना हुआ है।
