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ग्रामीण बाजार में नरमी से खुदरा बिक्री की हालत पतली

देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी एचयूएल ने भी सितंबर तिमाही के नतीजे बताते समय ग्रामीण खपत में कमी का इशारा किया

Last Updated- December 25, 2023 | 9:35 AM IST
Retail Demand
Representative Image

मुंबई से करीब 140 किलोमीटर दूर घोटी के बाजार में बड़ी चहल-पहल है। मगर पैदल चलने वालों और कपड़ों से खिलौनों तक कमोबेश हर सामान बेचने वाले फेरी वालों की यह भीड़ केवल भरमाने के लिए है। दूर से लगेगा कि तगड़ा कारोबार चल रहा है मगर करीब जाकर पता चलता है कि खरीदारी के लिए कुछ लोग ही रुक रहे हैं।

यहां 1965 में खुला मशहूर जनरल स्टोर रमनलाल नेमिचंद पिचा भी सुनसान दिख रहा है। कोविड के बाद यहां ग्राहकों की आमद बहुत कम हो गई है। दीवाली के बाद तो हाल और भी बिगड़ गया है। स्टोर के चौथी पीढ़ी के मालिक प्रेम पिचा 23 साल के हैं। वह बताते हैं कि शैंपू से लेकर बिस्कुट तक हर चीज की मांग कम हुई है। प्रेम बताते हैं, ‘वितरकों से हम पहले के मुकाबे 15-20 फीसदी कम बिस्कुट खरीद रहे हैं। टूथपेस्ट के बड़े पैकेट की खरीदारी भी महामारी के बाद से 20 फीसदी घट गई है।’ स्टोर में काफी सामान तो एक्सपायरी की तारीख के करीब पहुंच चुका है।

पास में गायकवाड़ प्रोविजन्स स्टोर की कहानी भी ऐसी ही है। करीब 1,500 वर्ग फुट का यह स्टोर संभाल रहे स्व प्निल गायकवाड़ बताते हैं कि ग्राहकों की आमद करीब-करीब बंद ही हो गई है, इसलिए अब वह स्थानीय रेस्तरां, होटल और रिसॉर्ट को खाने-पीने का सामान तथा कॉस्मेटिक्स मुहैया कराने पर ध्यान दे रहे हैं।
जरूरी सामान और राशन खरीदने आए 55 साल के किसान भास्कर गोविंद भी मानते हैं कि हालत कुछ ठीक नहीं है। मॉनसून बिगड़ने के कारण उपज प्रभावित होने से भास्कर गोविंद जैसे किसानों को गैर-जरूरी खर्चों में भारी कटौती करनी पड़ रही है। हालांकि वे बार-बार बाजार जाते हैं मगर जरूरी सामान ही खरीदते हैं और वह भी थोड़ा-थोड़ा। अक्सर वे बिस्कुट का एकाध पैकेट और लीटर भर तेल खरीदकर चले जाते हैं।

यह मंदी घोटी में ही नहीं है। करीब 70 किलोमीटर दूर डिंडोरी भी ऐसी ही चुनौतियों से जूझ रहा है। वहां कृष्णा सागर स्टोर्स पर काम करने वाले जोगिंदर कुमावत बताते हैं कि दीवाली के बाद मांग करीब 30 फीसदी गिर गई है, इसलिए दुकान के मालिक माल खरीदने के लिए महीने में दो बार ही बाजार जाते हैं, जबकि पहले वह हर हफ्ते जाते थे। कुमावत का कहना है, ‘पहले एक बार में दो चीजें लेने वाले अब एक ही खरीदते हैं। देखिए, क्या शाम को 6 बजे कोई दुकान इस तरह खाली रहती है?’
अपने 1 एकड़ खेत में टमाटर उगाने वाले 65 साल के शिवाजी संपत को इस बार खरीफ के सीजन में कोई मुनाफा नहीं हुआ क्योंकि दाम एकदम गिर गए। उन्हें सिंचाई विभाग से मिलने वाली पेंशन से पैसे निकालने पड़े हैं। वह बताते हैं, ‘पिछले साल मुझे 50,000 रुपये मुनाफा हुआ था मगर इस साल तो खर्च भी मुश्किल से निकल पाया है।’

वित्तीय तंगी दुकानों तक पहुंच रही है। इगतपुरी गांव में वरदा फूड्स ऐंड जनरल स्टोर्स के रूपेश बुटाडा की आमदनी महामारी के बाद 30 फीसदी तक घट गई और दीवाली के बाद गिरावट 10 फीसदी बढ़ गई। एक महिला उनकी दुकान पर आकर बिस्कुट का 5 रुपये वाला पैकेट मांगती है मगर रूपेश के पास 10 रुपये से कम दाम वाला पैकेट ही नहीं है तो वह खरीदे बगैर ही चली जाती है।

हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख एफएमसीजी कंपनियां ग्रामीण बाजारों में सुस्ती पर पैनी नजर रख रही हैं। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने सितंबर तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा के बाद निवेशकों से कहा था, ‘ग्रामीण बाजारों में हमें साफ तौर पर मंदी दिख रही है। मगर उम्मीद है कि हालात बेहतर होंगे।’ बेरी ने कहा कि इन वृहद आर्थिक समस्याओं का समाधान उनकी कंपनी नहीं कर सकती। उनकी कंपनी अपना वितरण नेटवर्क बढ़ाने में जुटी है क्योंकि कमजोर मॉनसून के कारण कृषि अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं रही है। मगर उनका कहना है कि हालात सुधरते ही उन्हें इसका फायदा मिलेगा।

देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी एचयूएल ने भी सितंबर तिमाही के नतीजे बताते समय ग्रामीण खपत में कमी का इशारा किया। कंपनी प्रबंधन ने कहा कि ग्रामीण मांग में नरमी के कारण दूसरी तिमाही में एचयूएल की ग्रामीण बिक्री कमजोर रही।

हाल में मुंबई में भारतीय उद्योग परिसंघ के एफएमसीजी शिखर सम्मेलन में विभिन्न कंपनियों ने बताया कि शहरी मांग लगातार बढ़ रही है मगर ग्रामीण बाजार में दबाव बरकरार है। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के एमडी एवं सीईओ सुधीर सीतापति ने कहा, ‘ग्रामीण बाजार में दबाव के कारण कम मात्रा में बिक्री होना उद्योग के लिए चिंता की बात है। हमें अब तक मांग में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।’

डाबर इंडिया के लिए त्योहारी सीजन बेहतर रहा। शहरी बाजार में ई-कॉमर्स और संगठित स्टोरों के कारण कंपनी की मांग दमदार रही। डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘सुधार के संकेत दिख रहे हैं, लेकिन ग्रामीण मांग अब भी शहरी बाजार के मुकाबले कमजोर है। त्योहारों का मौसम शुरू होने के बावजूद ग्रामीण बाजारों में नकदी की दिक्कत है।’

अदाणी विल्मर ने उम्मीद जताई कि अप्रैल में रबी की कटाई के बाद ही ग्रामीण मांग बढ़ेगी। अदाणी विल्मर के एमडी एवं सीईओ अंशु मलिक ने कहा, ‘ग्रामीण इलाकों में परिवार कम खपत कर रहे हैं मगर शहरों में खपत स्थिर बनी हुई है। कृषि जीडीपी वृद्धि का योगदान औसतन 3.5 फीसदी के मुकाबले 1.2 फीसदी ही है क्योंकि इन क्षेत्रों में लोगों की आय प्रभावित हुई है।’

First Published - December 25, 2023 | 9:35 AM IST

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