केंद्र सरकार कराधान से संबंधित विवाद रोकने और ऐसे मामलों की निगरानी के लिए एक रियल-टाइम मैकेनिज्म (बिना किसी देरी के विवाद निपटाने की सुविधा) की व्यवस्था करने पर विचार कर रही है। इस व्यवस्था से संस्थानों एवं कंपनियों को कराधान से जुड़े झंझटों से बचने में मदद मिल सकती है। कर मामलों को लेकर सभी संशय दूर करने के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘विवादों पर साथ-साथ नजर रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर संभव हुआ तो कंपनियों को विवाद से बचाने और अगर कोई विवाद हुआ तो इसके बिना किसी देरी के समाधान की व्यवस्था होनी चाहिए।’
सीतारमण ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित नैशनल एमएनसी कॉन्फ्रेंंस, 2020 को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। वित्त मंत्री ने कर संबंधित मामलों के लिए दो विवाद समाधान योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हमने अपना रु ख स्पष्ट कर दिया है कि आखिर क्यों हमें ये दोनों योजनाएं शुरू करनी पड़ीं। इनमें एक योजना ‘सबका विश्वास’ और दूसरी ‘विवाद से विश्वास’ थी। हालांकि मैं मानती हूं कि हमें एक ऐसी मजबूत व्यवस्था तैयार करने की जरूरत है, जिससे कर विवादों का निपटारा साथ-साथ चलता रहे और इसके लिए किसी खास मौके या समय का इंतजार नहीं करना पड़े।
अगर यह व्यवस्था क्रियान्वित होती है तो इससे करदाताओं को बकाया कर का भुगतान कर मामला निपटाने में मदद मिलेगी और उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से निजात मिल जाएगी। इस बारे में एक कर विशेषज्ञ ने कह कि ऐसा मध्यस्थता के जरिये भी किया जा सकता है। विशेषज्ञ के अनुसार इसके तहत कर की मांग आने पर किसी करदाता को विवाद सुलझाने का अवसर दिया जा सकता है और इसके बदले उसे जुर्माने और ब्याज आदि के भुगतान से छूट मिल जाएगी।
प्रत्यक्ष कर विवाद ‘विवाद से विश्वास’ अधिनियम, 2020 इस वर्ष के शुरू में प्रभावी हुआ था। सरकार ने कहा था कि विचाराधीन कर विवाद सुलझाने के लिए सरकार ने यह पहल की है। समझा जा रहा है कि 8 सितंबर तक प्रत्यक्ष कर से जुड़े करीब 35,000 मामलों में इस योजना का सहारा लिया गया है। एक मोटे अनुमान के अनुसार देश में ऐसे करीब 5 लाख मामले विचाराधीन हैं।
वित्त मंत्री ने वैकल्पिक विवाद समाधान व्यवस्था एडवांस प्राइसिंग एग्रीमेंट (एपीए) की भी चर्चा की। सीतारमण ने माना कि एपीए में समय अधिक लग रहा है और इसमें तेजी लाए जाने की जरूरीत है। उन्होंने कहा कि देरी की वजह से एमएनसी के खातों पर काफी बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं मानती हूं कि एपीए व्यवस्था में तेजी लाने की जरूरत है नहीं तो इसका उद्देश्य अधूरा रह जाएगाा। पांच वर्ष की अवधि तो बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।’
सरकार एपीए योजना लेकर आई है जिसका मकसद ट्रांसफर प्राइसिंग से जुड़े मामलों में करदाताओं को वैकल्पिक विवाद समाधान योजना मुहैया कराना है।
