वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि अक्टूबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहेगा। पिछले 8 महीने में ऐसा पहली बार होने की संभावना इसलिए जताई जा रही है कि रिटर्न दाखिल करने की संख्या तेज हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर-दिसंबर में भी जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर रह सकता है, जिसकी रिपोर्ट जनवरी और फरवरी में आएगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 25 अक्टूबर तक 75 लाख रिटर्न दाखिल किए गए, जबकि पिछले महीने 25 तारीख तक 63 लाख रिटर्न भरे गए थे।
इनपुट-आउटपुट रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि इस महीने की 20 तारीख थी। सितंबर में हुए लेन देन का रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर थी, लेकिन विलंब शुल्क के साथ उसके बाद भी रिटर्न दाखिल किया जाना जारी रहा।
दरअसल 6 महीने के संकुचन के बाद सितंबर महीने में जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इससे संकेत मिलते हैं कि लॉकडाउन के कारण आए व्यवधान के बाद आर्थिक गतिविधियां सामान्य की ओर बढ़ रही हैं।
सितंबर महीने में जीएसटी संग्रह 95,480 करोड़ रुपये रहा, जो अगस्त में 86,449 करोड़ रुपये था। पिछले साल सितंबर महीने में जीएसटी संग्रह 91,916 करोड़ रुपये था।
विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर महीने में संग्रह तेज हो सकता है क्योंकि यह 2019-20 के इनपुट टैक्स क्रेडिट दावे का अंतिम महीना है।
पीडब्ल्यूसी में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा, ‘तमाम कंपनियों ने सालाना पुनर्मिलान किया होगा और अपने वेंडरों से रिटर्न दाखिल करने या छूटे हुए लेनदेन की रिपोर्ट करने को कहा होगा।’ उन्होंने कहा कि आमतौर पर तिमाही के अंतिम महीने में बिक्री अन्य दो महीनों की तुलना में थोड़ी ज्यादा रहती है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘पिछले महीने की रिपोर्ट में संग्रह बढऩे के आधार पर उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में संग्रह तेज रहेगा क्योंकि मांग बढऩे के साथ त्योहारी बिक्री हो रही है।’
खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर अभिषेक रस्तोगी ने कहा कि त्योहारी सीजन और कम भंडारण की वजह से तमाम स्टॉकिस्ट अपने गोदामों में सामान भर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘संग्रह बढऩे की एक और वजह जीएसटी अधिकारियों द्वारा की गई कठोर कार्रवाइयां हैं, जिससे कि लंबित करक की वसूली हो सके।’
मणि ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से ई-इनवाइसिंग पेश किए जाने से भी उम्मीद है कि सभी आपूर्ति संबंधी लेनदेन की रिपोर्ट में सुधार होगा और लेनदेन बढऩे से जीएसटी का आधार बढ़ेगा।
बहरहाल अक्टूबर के आंकड़ों में ई-इनवाइसिंग का असर नजर नहीं आएगा क्योंकि यह सितंबर में लेन देन के आंकड़े होंगे। ई-इनवाइसिंग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए 1 अक्टूबर से अनिवार्य किया गया था। जनवरी से 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों और अगले साल अप्रैल से यह सबसे लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा।
कब तक जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये के ऊपर बना रहेगा?
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इनपुट-आउटपुट समरी रिटर्न से दरअसल बिजनेस टु बिजनेस लेन देन प्रतिविंबित होता है। बहरहाल अगर दीपावली के आसपास ग्राहकों को बिक्री भी बढ़ती है तो यह उम्मीद की जा सकती है कि जीएसटी संग्रह साल के शेष महीनों में भी एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर बना रहेगा।
जैन ने कहा कि त्योहार को देखते हुए नवंबर में भी संग्रह तेज रह सकता है। रस्तोगी ने कहा कि कम से कम एक तिमाही तक बढ़ी हुई मांग बनी रहेगी।
जीएसटी के एक विशेषज्ञ ने कहा कि 100 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनियां ई-इनवाइसिंग के दायरे में आने से पहले दिसंबर तक अपना स्टॉक निपटाने की कवायद करेंगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में दिसंबर तक संग्रह ज्यादा बने रहने की संभावना है।
