साप्ताहिक नीलामी में ट्रेजरी बिल (टी-बिल) की मांग पहले के सप्ताह की तुलना में नरम रही है। इसकी वजह गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक के परिणाम को लेकर बरती गई सावधानी है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के ट्रेजरी बिल का कट-आफ प्रतिफल (cut-off yield) क्रमशः 6.75 प्रतिशत, 6.91 प्रतिशत और 6.96 प्रतिशत तय किया। 184 दिन के ट्रेजरी बिल का कट-ऑफ प्रतिफल 4 आधार अंक ज्यादा, 91 दिन और 364 दिन का कट-ऑफ प्रतिफल पिछले सप्ताह से 3 आधार अंक ज्यादा तय किया गया था। ‘
हालांकि सरकार के बॉन्ड का प्रतिफल थोड़ा बढ़ा है, जिस पर अमेरिकी ट्रेजरी के प्रतिफल में बढ़ोतरी का असर पड़ा है। बहरहाल ट्रेडर्स बड़ा दांव लगाने से बचते रहे, जिसकी वजह आगामी नीतिगत परिणाम है और इससे मात्रा कम रही। घरेलू दर तय करने वाली समिति से व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही है कि रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा और यह 6.50 प्रतिशत बना रहेगा, वहीं उम्मीद की जा रही है कि समावेशी नीति की वापसी का रुख बरकरार रहेगा। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की प्रतिक्रिया केंद्र में रहेगी।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘एमपीसी की बैठक के पहले मात्रा कम रही और और बाजार केवल अमेरिकी प्रतिफल देख रहा था।’ उन्होंने कहा, ‘अगर वे व्यवस्था से नकदी खत्म करने के लिए नए साधन की घोषणा करते हैं तो बाजार इस पर प्रतिक्रिया दे सकता है। लेकिन अगर यह टिप्पणी तक सीमित रहेगा तो कल (गुरुवार को) बाजार में तेजी आएगी ।’
10 साल के मानक सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 7.17 प्रतिशत रहा, जो मंगलवार को 7.16 प्रतिशत था।
हालांकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 82.84 पर बंद हुआ और यह मंगलवार की बंदी के बराबर ही रहा। अमेरिका के महंगाई के प्रमुख आंकड़े आने के पहले निवेशक बड़े दांव लगाने से बचते रहे, जो गुरुवार को जारी होने हैं।
अमेरिका का सालाना सीपीआई आधार के असर के कारण जुलाई में बढ़कर 3.3 प्रतिशत रहने की संभावना है। प्रमुख महंगाई दर लगातार दूसरे 0.2 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।