इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की समिति देश में स्टार्टअप तंत्र की मदद करने और सिलिकन वैली बैंक (SVB) घटनाक्रम के बाद पैदा हुए अवसरों का लाभ उठाने जैसे मुद्दों पर अगले सप्ताह चर्चा कर सकती है।
भारतीय बैंकों, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्टार्टअप क्षेत्र में कम पहुंच है। बैंकरों का मानना है कि उन्हें जोखिम प्रबंधन, प्रतिभा विकास और स्टार्टअप को सेवा मुहैया कराने के लिए पर्याप्त कोष और इस क्षेत्र में दबदबा बढ़ाने की दिशा में काम करने की जरूरत है।
बैंकरों का कहना है कि IBA की चर्चाएं उद्योग-स्तर के मुद्दों पर केंद्रित हो सकती हैं, जिनमें नियामकीय मानक और क्षमता निर्माण मुख्य रूप से शामिल हैं। एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा संकट की वजह से हमें अल्पावधि में भारतीय बैंकों के लिए बहुत ज्यादा अवसर नहीं दिख रहे हैं।’
निजी क्षेत्र के ऋणदाता ऐक्सिस बैंक ने सोमवार को कहा कि SVB घटनाक्रम के बीच वह उन स्टार्टअप की मदद से संबंधित अवसरों का लाभ उठाएगा, जो अमेरिकी बैंक के बंद होने से प्रभावित हो सकते हैं। SVB स्टार्टअप और टेक्नोलॉजी कंपनियों को वित्तीय सुविधा मुहैया कराने वाला प्रमुख बैंक था। उसे अमेरिकी बॉन्डों पर भारी नुकसान के बाद समस्याओं का सामना करना पड़ा।
माना जा रहा है कि कई भारतीय स्टार्टअप और सास कंपनियों द्वारा विदेश से पूंजी जुटाई जाती है और वे जरूरत पड़ने पर इसे भारत लाती हैं। ऐक्सिस बैंक के समूह कार्यकारी एवं प्रमुख (होलसेल बैंकिंग कवरेज ग्रुप) गणेश शंकरन ने कहा, ‘हम इन स्टार्टअप को अपना पैसा ऐक्सिस बैंक की गिफ्ट सिटी शाखा में लाने में मदद कर रहे हैं। बैंक इन इकाइयों के लिए भविष्य में व्यवसाय के लिए भी यहां अवसर प्रदान कर रहा है।’
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उन्होंने कहा, ‘बी2बी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस में कुछ कंपनियों, बड़े ऑनलाइन कार मार्केटप्लेस, और एग्री/फूड टेक क्षेत्र ने अपनी पूंजी हमारी गिफ्ट सिटी शाखा में लाने में दिलचस्पी दिखाई है। कई वित्तीय प्रायोजक भी अपनी पोर्टफोलियो कंपनियों के साथ हमसे जुड़े हैं और वे हमारी गिफ्ट सिटी पेशकश में इच्छुक हैं।’
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भी जोखिम की वजह से स्टार्टअप को पैसा देने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। उद्यम पूंजी कंपनियां ज्यादा कोष मुहैया कराती हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक अधिकारी ने कहा कि बैंकों को इस मौजूदा अवसर (SVB संकट से पैदा हुए) को व्यावसायिक लाभ में तब्दील करने के लिए अब गंभीरता से काम शुरू करने की जरूरत होगी।
शायद बैंकों को आंतरिक तौर पर एक अलग इकाई या वर्टिकल बनाने की जरूरत होगी। उनका मुख्य ध्यान प्रतिभाएं तैयार करने पर होगा, खासकर स्टार्टअप तंत्र के लिए दक्षता वाले बैंकरों पर ध्यान देने की जरूरत होगी।