सिलिकन वैली बैंक (SVB) के धराशायी होने के चंद दिन बाद हरकत में आते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देसी कंपनियों और बैंकों पर इसके असर का आकलन करने में जुट गया है। बैंकिंग नियामक ने अमेरिका के SVB में बैंक तथा गैर-बैंक जमाओं के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार बैंकिंग नियामक ने बैंकों से SVB में अपने इक्विटी निवेश तथा जमाओं का ब्योरा देने के लिए कहा है। इसके अलावा बैंकिंग नियामक भारत की गैर-बैंक इकाइयों के भी इस तरह के निवेश के आंकड़े जुटा रहा है।
सूत्रों ने कहा, ‘नियामक अमेरिका में बैंक के विफल होने के मद्देनजर देश की वित्तीय प्रणाली पर इसके असर का आकलन कर रहा है। बैंकों तथा गैर-बैंकिंग कंपनियों का SVB में इक्विटी निवेश या पैसे जमा हो सकते हैं।’
कुछ भारतीय बैंक हैं जिनका अमेरिका में भी परिचालन है। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया आदि शामिल हैं। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने रविवार को बिज़नेस स्टैडर्ड को बताया था कि सिलिकन वैली बैंक में उसका कोई निवेश या पैसा नहीं है।
खारा ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमारा SVB में कोई निवेश है। यह काफी छोटा बैंक था। हमारा पैसा केवल बड़े बैंकों में होता है, छोटे में नहीं।’ भारतीय स्टेट बैंक (कैलिफोर्निया) एसबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई है जिसकी 7 शाखाएं हैं।
कैलिफोर्निया मुख्यालय वाला SVB अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक था जिसे शुक्रवार को बंद कर दिया गया। इसके बाद फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन को इसका रिसीवर नियुक्त किया गया है।
बैंकरों का मानना है कि भारतीय कंपनियों का अमेरिका के विफल बैंक में ज्यादा पैसा नहीं लगा है और यह चिंता की बात नहीं है। भारतीय बैंकों की तरलता और पूंजी पर्याप्तता पिछले कुछ वर्षों से सुदृढ़ बनी हुई है।
RBI की दिसंबर 2022 की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा गया है कि उधारी जोखिम के वृहद दवाब परीक्षण से पता चलता है कि घरेलू बैंक दबाव की परिस्थितियों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकता का अनुपालन करने में सक्षम हैं।