सरकारी राजस्वों में मजबूत सुधार का मतलब है कि वृद्घि की लय को बढ़ाने की खातिर उच्च पूंजीगत व्यय आवंटन के रूप में अतिरिक्त समर्थन मुहैया कराने के लिए सरकार के पास पर्याप्त राजकोषीय गुंजाइश है। आज संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में ये बातें कही गई हैं।
समीक्षा में कहा गया है, ‘अर्थव्यवस्था के साथ साथ स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को दिए गए राजकोषीय समर्थन के कारण से राजकोषीय घाटे की स्थिति बनी है और 2020-21 में सरकारी ऋण में वृद्घि हुई। हालांकि, 2021-22 में सरकारी राजस्वों में हुए मजबूत सुधार का मतलब है कि सरकार आसानी से वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्यों को हासिल कर लेगी जबकि समर्थन को बरकरार रखा जाएगा और पूंजीगत व्यय में इजाफा होगा। राजस्वों में मजबूत सुधार का मतलब है कि जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त समर्थन मुहैया कराने के लिए सरकार के पास राजकोषीय गुंजाइश है। अप्रैल से नवंबर 2021 के दौरान राजस्व प्राप्तियां सालाना आधार पर 67 फीसदी से अधिक रही थी।’
राजस्व संग्रह में निरंतरता बने रहने और केंद्र सरकार द्वारा लक्षित व्यय नीति के कारण अप्रैल से दिसंबर के दौरान राजकोषीय घाटे को बजट अनुमान के 50.4 फीसदी पर रोक कर रखा जा सका। सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘इसका मतलब है कि सरकार के पास समर्थन को बरकरार रखने और जरूरत पडऩे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए राजकोषीय क्षमता मौजूद है। राजस्वों में मजबूत सुधार से सरकार को भी जरूरी होने पर अतिरिक्त सहयोग मुहैया करन के लिए वित्तीय गुंजाइश मिली है।’
